ट्रायल के दौरान मंजूरी आदेश की वैधता भी बढ़ाई जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

30 Sep 2021 8:34 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल के दौरान मंजूरी आदेश की वैधता भी बढ़ाई जा सकती है।

    इस मामले में शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता ने दिया कि निचली अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 19 के प्रावधान के अनुसार वैध मंजूरी के बिना अपराध का संज्ञान लिया है।

    याचिकाकर्ता ने इससे पहले उत्तराखंड का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने समन आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि यह भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 19 के तहत पूर्व मंजूरी दिए बिना जारी किए जाने के कारण शुरू से ही शून्य है। हाईकोर्ट ने उक्त याचिका को खारिज कर दिया।

    इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इस मामले में पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है और मुकदमा चल रहा है, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर और कृष्ण मुरारी की पीठ ने दिनेश कुमार बनाम अध्यक्ष, भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (2012) 1 एससीसी 532 में की गई निम्नलिखित टिप्पणियों का उल्लेख किया।

    कोर्ट ने कहा,

    "हमारे विचार में वर्तमान मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अब चूंकि ट्रायल जज द्वारा अपीलकर्ता के खिलाफ पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है, इसलिए उच्च न्यायालय को मंजूरी की वैधता के सवाल को छोड़ने में गलती नहीं कहा जा सकता है। न्यायालय द्वारा विचार के लिए खुला है और अपीलकर्ता को सुनवाई के दौरान मंजूरी आदेश की वैधता से संबंधित मुद्दे को उठाने की स्वतंत्रता देता है। ऐसा प्रकाश सिंह बादल बनाम पंजाब राज्य (2007) 1 एससीसी 1में इस न्यायालय के निर्णय के अनुरूप है और अनुचित नहीं है।"

    अदालत ने विशेष अनुमति याचिका का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया कि सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के लिए मंजूरी की वैधता का सवाल उठाने के लिए खुला है और ट्रायल कोर्ट उचित स्तर पर उक्त प्रश्न पर विचार करने के लिए बाध्य है।

    केस का नाम | प्रशस्ति पत्र: मेजर एम.सी. आशीष चिनप्पा बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो | एलएल 2021 एससी 514

    मामला संख्या। | दिनांक: एसएलपी (सीआरएल) 2576/2019 | 22 सितंबर 2021

    कोरम: जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी

    वकील: याचिकाकर्ता के लिए एडवोकेट नीला गोखले, सीबीआई के लिए एएसजी केएम नटराज

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