उन्नाव मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, डॉक्टर मंजूरी दें तो फौरन पीड़िता को लाया जाए दिल्ली
LiveLaw News Network
5 Aug 2019 8:21 PM IST
उन्नाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए बलात्कार पीड़िता व उसके वकील को एयरलिफ्ट कर लखनऊ के अस्पताल से दिल्ली के एम्स में भर्ती कराने के निर्देश दिए हैं।
जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने सोमवार को पीड़िता की मां के अनुरोध पर आदेश जारी करते हुए कहा कि अगर डॉक्टर कहते हैं कि दोनों को एयरलिफ्ट किया जा सकता है तो उन्हें आज ही दिल्ली के एम्स लाया जाए।
उन्नाव मामले में शुक्रवार को एक बार फिर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार के अपने आदेश में संशोधन करते हुए रायबरेली सड़क हादसे मामले को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर करने के अपने फैसले पर 15 दिनों के लिए रोक लगा दी थी। ये मामला फिलहाल उत्तर प्रदेश की अदालत में ही चलेगा।
पीठ ने ये आदेश सीबीआई की अर्जी पर दिया था जिसमें कहा गया था कि हादसे की जांच को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी को 14 दिनों का समय दिया है। SG तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि इस केस में उसे जेल में बंद आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व अन्य को हिरासत में लेकर पूछताछ करनी है। लेकिन यूपी की अदालत का कहना है कि केस दिल्ली ट्रांसफर हो चुका है। वहीं दिल्ली में केस अभी पहुंचा नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ ने तुरंत आदेश में संशोधन करते हुए कहा था कि पीठ के इस केस के ट्रांसफर के आदेश पर 15 दिनों के लिए रोक रहेगी। शुक्रवार को ही उन्नाव मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता के चाचा को रायबरेली जेल से तुंरत दिल्ली की तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए थे।
CJI रंजन गोगोई की पीठ ने पीड़िता की मां की ओर से वकील द्वारा पेश तर्क को मान लिया था कि पीड़िता को फिलहाल लखनऊ के अस्पताल में रखा जाए। साथ ही पीठ ने पीड़िता को अनुमति दी कि जब भी उसे जरुरत पड़े वो सुप्रीम कोर्ट में सेकेट्री जनरल के पास जा सकते हैं। साथ ही पीठ ने मीडिया को भी निर्देंश दिया है कि वो पीड़िता की पहचान उजागर ना करे। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बलात्कार पीड़िता की ओर से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व अन्य के खिलाफ दर्ज पांचों केसों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली की तीस हजारी अदालत में ट्रांसफर कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को दो सप्ताह के भीतर रायबरेली हादसे की जांच पूरी करने का निर्देश दिया और दिल्ली की तीस हजारी के जिला जज धर्मेश शर्मा को तुरंत ट्रायल शुरू कर सभी केसों की 45 दिनों में सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए।
पीठ ने सीबीआई अधिकारियों को कोर्ट में बुलाकर केस की जानकारी लेने के बाद पीड़िता, उसके परिवार, वकील व उसके परिवार को CRPF की सुरक्षा मुहैया कराने को कहा। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़िता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश भी दिए।