सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 34 हुई तो दो नई कोर्ट भी बनाई गईं, पहली बार काम करेंगी 17 कोर्ट
LiveLaw News Network
19 Sept 2019 9:45 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 34 होने के साथ ही अब इतिहास में पहली बार देश की सबसे बड़ी अदालत में 17 कोर्ट काम करेंगी। अभी तक इनकी संख्या 15 थी।
CJI ने बनाई 2 नई कोर्ट; जारी हुई नोटिस
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी नोटिस में बताया गया है कि CJI रंजन गोगोई ने 2 नई कोर्ट 16 और 17 बनाई हैं जो कोर्ट नंबर 10 के निकट काम करेंगी।
राष्ट्रपति ने दी थी 4 नए जजों की नियुक्ति को मंजूरी
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने बुधवार को ही सुप्रीम कोर्ट में 4 नए जजों जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस आर. रविन्द्र भट्ट, जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन और जस्टिस हृषिकेश रॉय की नियुक्ति को मंजूरी दी और 23 सितंबर को चारों शपथ लेंगे। इसके साथ ही जजों की क्षमता पूरी 34 (CJI सहित) हो गई है।
CJI के अतिरिक्त 30 से 33 हुई है SC जजों की कुल संख्या
गौरतलब है कि बीते अगस्त में संसद में भारत के मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 करने का प्रस्ताव पास किया था और राष्ट्रपति के अनुमति देते ही इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई थी।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इन चारों को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी।
HC जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के संबंध में CJI ने प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र
इससे पहले मई में भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया था कि वो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल तक बढ़ाने और सुप्रीम कोर्ट की क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाएं। CJI ने 2 अलग-अलग पत्र लिखे थे जिसमें लंबित मामलों के बैकलॉग की समस्या से निपटने के लिए अनुरोध भी किया गया था।
संसदीय विधान ही बढ़ा सकता था क्षमता
सुप्रीम कोर्ट में जजों की क्षमता संसद द्वारा अनुच्छेद 124 (1) के अनुसार बनाए गए कानून द्वारा 31 तय की गई थी। इसलिए संसदीय विधान के माध्यम से ही ये क्षमता बढ़ाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में पिछले मई में जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्तियों के साथ 31 न्यायाधीशों की पूर्ण स्वीकृत क्षमता हो चुकी थी।
संविधान में क्या हैं प्रावधान
संविधान के अनुच्छेद 224 (3) और 124 (2) के अनुसार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के मामले में यह 65 वर्ष है। सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने के लिए भी संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी।
CJI ने SC जजों की क्षमता बढ़ाने हेतु लिखा था पत्र
CJI गोगोई ने कहा था, "आप इस तरह से याद करेंगे कि वर्ष 1988 में, लगभग 3 दशकों में SC जजों की क्षमता 18 से बढ़ाकर 26 कर दी गई थी और फिर वर्ष 2009 में 2 दशकों के बाद, CJI सहित इसे बढ़ाकर 31 कर दिया गया था। संस्था की क्षमता का मामलों की दर के साथ तालमेल बनाए रखा जाना चाहिए।"
लंबित मामलों को लेकर भी CJI ने लिखा था पत्र
CJI के एक अन्य पत्र में बढ़ते लंबित मामलों से निपटने के लिए क्रमशः संविधान के अनुच्छेद 128 और 224A के अनुसार सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट जजों को नियुक्तियां देने की मांग की गई थी।