टोक्यो पैरालंपिक: अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति ने अतिरिक्त प्रतिभागी को शामिल करने से इनकार किया; सुप्रीम कोर्ट ने निशानेबाज नरेश कुमार शर्मा की याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

3 Aug 2021 7:56 AM GMT

  • टोक्यो पैरालंपिक: अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति ने अतिरिक्त प्रतिभागी को शामिल करने से इनकार किया; सुप्रीम कोर्ट ने निशानेबाज नरेश कुमार शर्मा की याचिका खारिज की

    अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (आईपीसी) ने पांच बार के पैरालंपिक निशानेबाज और अर्जुन पुरस्कार विजेता नरेश कुमार शर्मा के मामले में कहा है कि 24 अगस्त से शुरू होने वाले टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भारत के एक अतिरिक्त प्रतिभागी को शामिल करना संभव नहीं है।

    सुप्रीम कोर्ट ने कल यानी सोमवार को पांच बार के पैरालंपियन निशानेबाज और अर्जुन पुरस्कार विजेता नरेश कुमार शर्मा को बड़ी राहत देते हुए भारत की पैरालिंपिक समिति को टोक्यो पैरालिंपिक में अपने पैराशूटर इवेंट में एक अतिरिक्त प्रतिभागी के रूप में नरेश कुमार के नाम की सिफारिश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने पीसीआई को आज (मंगलवार) को अनुपालन रिपोर्ट देने का भी निर्देश दिया था।

    अंतर्राष्ट्रीय समिति ने ईमेल के माध्यम से पीसीआई को बताया कि भारत ने क्वालीफिकेशन इवेंट में केवल 10 स्लॉट अर्जित किए हैं और इसलिए अतिरिक्त स्लॉट नहीं दिया जा सकता है।

    आईपीसी द्वारा उठाई गई आपत्ति के मद्देनजर शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ को शर्मा की लंबित अपील पर कल ही सुनवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। हाईकोर्ट के समक्ष शर्मा ने एक अन्य प्रतिभागी को बेदखल कर उन्हें शामिल करने की दलीलें दी हैं।

    जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने एडवोकेट सिंह द्वारा किए गए अनुरोध को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता के साथ विशेष अनुमति याचिका का निपटारा किया। पीठ ने उच्च न्यायालय से इस मामले पर शीघ्र विचार करने का भी अनुरोध किया।

    नरेश कुमार शर्मा ने टोक्यो प्रतियोगिता के लिए उनका चयन नहीं करने के पीसीआई के "मनमाने और पक्षपातपूर्ण" फैसले से असंतुष्ट होकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

    जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने पीसीआई को टोक्यो प्रतियोगिता में पहले से चयनित उम्मीदवारों को हटाए बिना अतिरिक्त प्रतिभागी के रूप में नरेश शर्मा के नाम की सिफारिश करने का निर्देश दिया था।

    शर्मा ने पहले दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उन्होंने शारीरिक रूप से विकलांग प्रतिभागियों के लिए आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में उनका चयन नहीं करने को चुनौती दी थी। हालांकि उच्च न्यायालय ने पाया कि समिति के फैसले में मनमानी थी, लेकिन उसने सूची में शामिल करने के लिए तत्काल आदेश पारित नहीं किया।

    शर्मा ने इसी पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने सोमवार सुबह भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष मामले का उल्लेख तत्काल विचार करने के लिए कहा और कहा कि अगर ऐसा नहीं हुई तो यह मामला निष्फल हो जाएगा क्योंकि आज (सोमवार) अंतर्राष्ट्रीय पैरालिंपिक समिति द्वारा आवेदनों को स्वीकार करने का अंतिम दिन है।

    पीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए निर्देश पारित किया कि उच्च न्यायालय ने शर्मा को बाहर करने के पीसीआई के फैसले को गलत पाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता को उसके द्वारा किए गए निष्कर्षों के आलोक में उच्च न्यायालय के समक्ष सफल होना चाहिए था और पीसीआई को उचित निर्देश जारी किए जाने चाहिए कि वह उसे इस कार्यक्रम में एक प्रतिभागी के रूप में शामिल करे।

    शर्मा ने भारत में पैरा स्पोर्ट्स के प्रचार और विकास के लिए शीर्ष निकाय भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की थी। टोक्यो गेम्स 2020 के लिए उन्हें शॉर्टलिस्ट नहीं किया गया था।

    शर्मा ने कहा कि हालांकि एकल न्यायाधीश ने पाया कि पीसीआई के आचरण में मनमाना और पक्षपात था और एक जांच का आदेश दिया गया, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि उनकी अपील पर नोटिस जारी किया गया था, जिस पर 6 अगस्त को सुनवाई होनी है, जब तक कि मामला निष्फल हो जाएगा क्योंकि आज अंतर्राष्ट्रीय पैरालिंपिक समिति द्वारा आवेदनों को स्वीकार करने का अंतिम दिन है।

    शर्मा ने तर्क दिया था कि टोक्यो खेलों के लिए चयन प्रक्रिया भारत के राष्ट्रीय खेल विकास संहिता, 2011 का उल्लंघन है, जो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए खिलाड़ियों के विवेकपूर्ण और मेधावी चयन को अनिवार्य करता है। उन्होंने शिकायत की थी कि समिति ने उनके स्थान पर R7 इवेंट में टोक्यो पैरालंपिक में भाग लेने के लिए एक दीपक को गलत तरीके से चुना था।

    याचिका में कहा गया था कि वह स्पोर्ट्स तकनीकी समिति (एसटीसी) द्वारा पीसीआई की शूटिंग के लिए निर्धारित सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करता है और डब्ल्यूएसपीएस (वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स) द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों के अनुरूप है।

    याचिका में आगे कहा गया था कि अतीत में उनके उल्लेखनीय प्रदर्शन और उनकी उपलब्धियों के बावजूद पीसीआई की चयन समिति ने मनमाने ढंग से और बिना सोचे-समझे और योग्य नरेश कुमार शर्मा के स्थान पर आर7 इवेंट में टोक्यो पैरालंपिक में भाग लेने के लिए दीपक का चयन किया।

    याचिका में कहा गया था कि जानबूझकर और मनमाने ढंग से याचिकाकर्ता को टोक्यो पैरालंपिक में R7 आयोजन में भाग लेने के अवसर से वंचित कर दिया गया। याचिकाकर्ता के नाम को बाहर करने के लिए चयन समिति की ओर से एक पूर्व-निर्धारित योजना थी।

    एडवोकेट सिंह ने बताया कि उक्त दीपक ने केवल एक ऐसे आयोजन में भाग लिया है और समिति ने सर्बिया ग्रां प्री को उसके अंकों की गणना के लिए गलत माना है, भले ही उक्त घटना नियम 1.2 और 2.9 के संदर्भ में मान्यता प्राप्त डब्ल्यूएसपीएस प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं है।

    उच्च न्यायालय के समक्ष पीसीआई ने तर्क दिया था कि उसका प्रयास खेलों के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों का चयन करना है और दीपक को संबंधित श्रेणी में उच्चतम स्कोर के साथ पाया गया है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि सर्बिया ग्रां प्री वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स (WSPS) इवेंट्स में से एक था, जिसमें शर्मा ने स्वेच्छा से भाग नहीं लेने का फैसला किया था।

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