TikTok : मद्रास हाईकोर्ट ने बैन हटाया, कहा नहीं होनी चाहिए अश्लील सामग्री

Live Law Hindi

25 April 2019 7:51 AM GMT

  • TikTok : मद्रास हाईकोर्ट ने बैन हटाया, कहा नहीं होनी चाहिए अश्लील सामग्री

    मद्रास हाईकोर्ट ने चीनी मोबाइल एप TikTok पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। हालांकि पीठ ने साथ में यह शर्त भी लगाई है कि TikTok एप पर कोई भी अश्लील सामग्री नहीं होनी चाहिए।

    करना होगा शर्तों का पालन
    बुधवार को 3 अप्रैल को अपने अंतरिम रोक के फैसले को वापस लेते हुए मदुरै बेंच में न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरन और न्यायमूर्ति एस. एस. सुंदर की पीठ ने कहा कि अगर तय शर्तों का पालन नहीं किया गया तो फिर अदालत की अवमानना की कार्रवाही की जाएगी।

    "कंपनी है अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए प्रतिबद्ध"
    वहीं इस दौरान याचिकाकर्ता बायटडांस (इंडिया) टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने पीठ को बताया कि कंपनी एप पर किसी भी तरह के अश्लील पोस्ट को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। उसने पिछले कुछ समय में 6 मिलियन से अधिक आपत्तिजनक सामग्री को हटाया भी है।

    SC ने मद्रास HC से अपने आदेश पर विचार करने को कहा था
    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय को कहा था कि वो TikTok मोबाइल एप के एकपक्षीय बैन पर विचार करे। पीठ ने यह भी साफ कर दिया था कि अगर उस दिन (24 अप्रैल) इस पर विचार नहीं हुआ तो एप पर लगा बैन हट जाएगा।

    चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने यहआदेश बायटडांस (इंडिया) टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों पर दिया।

    दरअसल मद्रास उच्च न्यायालय के इस मोबाइल एप के डाउनलोड पर रोक लगाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

    बायटडांस (इंडिया) टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड जो इस मोबाइल एप्लिकेशन का मालिक है, ने मदुरै पीठ के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसमें सरकार को इस एप पर बैन लगाने को कहा गया था।

    एस. मुथुकुमार की याचिका पर मद्रास HC का आदेश
    एस. मुथुकुमार द्वारा इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की याचिका पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरन और न्यायमूर्ति एस. एस. सुंदर की पीठ ने अधिकारियों से TikTok मोबाइल एप के डाउनलोड पर रोक लगाने का निर्देश दिया था।

    मीडिया को निर्देश, सरकार चाहे तो लाये कानून
    पीठ ने मीडिया को TikTok मोबाइल एप का उपयोग करके बनाए गए वीडियो के प्रसारण से भी रोक दिया था। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार चाहे तो वह बच्चों को साइबर/ऑनलाइन शिकार बनने से रोकने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अधिनियमित बाल ऑनलाइन गोपनीयता संरक्षण अधिनियम जैसा कानून ला सकती है।

    उच्च न्यायालय की मामले पर टिपण्णी
    उच्च न्यायालय ने कहा था, "खतरनाक पहलू यह है कि TikTok एप में भाषा और पोर्नोग्राफ़ी सहित अनुचित सामग्री पोस्ट की जा रही हैं। बच्चों के सीधे अजनबियों से संपर्क करने और उन्हें लुभाने की संभावना है। इस तरह के मोबाइल एप में शामिल खतरों को समझे बिना, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे बच्चे इन एप के साथ परीक्षण कर रहे हैं।"

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