पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद भी 'अवैध कब्जाधारक किरायेदार' मध्यवर्ती मुनाफे के भुगतान के लिए उत्तरदायी है: सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
8 Sept 2022 11:04 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पट्टे की समाप्ति के बाद भी अपने कब्जे में सम्पत्ति रखने वाला किरायेदार मध्यवर्ती मुनाफे के भुगतान के लिए उत्तरदायी है।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा,
"यद्यपि (पट्टे की समाप्ति के बाद भी) सम्पत्ति पर कब्जा रखने वाले किरायेदार को जबरन बेदखल नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह उचित तरीके से सम्पत्ति में प्रवेश लेने वाले किरायेदार के पट्टे की समाप्ति पर कब्जा बनाये रखने को गैर-कानूनी साबित करने से नहीं रोक सकता।"
पीठ ने इस प्रकार इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की वह अपील खारिज कर दी, जिसमें उसने सुडेरा रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा मध्यवर्ती मुनाफे (मेस्ने प्रॉफिट) की मांग संबंधी याचिका पर दिये गये आदेश को चुनौती दी थी।
इस मामले में उठाए गए मुद्दों में से एक यह था कि क्या पट्टे की समाप्ति पर अपीलकर्ता-किरायेदार के कब्जे को गलत कब्जा कहा जा सकता है?
इस संबंध में, कोर्ट ने संज्ञान लिया कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 111 (ए) में प्रावधान है कि पट्टा समय के प्रवाह से निर्धारित होता है, यानी पट्टे की अवधि की समाप्ति पर पट्टा समाप्त हो जाता है।
'आत्मा राम प्रॉपर्टीज (प्रा.) लिमिटेड बनाम फेडरल मोटर्स (प्रा.) लिमिटेड (2005) 1 एससीसी 705' का उल्लेख करते हुए बेंच ने कहा:
"पट्टे की समाप्ति के बाद भी कब्जा जारी रखने वाले किरायेदार को 'अवैध कब्जाधारक किरायेदार' के रूप में माना जा सकता है, जिसकी स्थिति अवैध घुसपैठ करने वाले से थोड़ी ठीक है, क्योंकि पट्टे की समाप्ति के बाद भी कब्जा जमाये बैठे किरायेदार के मामले में उसका मूल प्रवेश वैध था, लेकिन अवैध कब्जाधारक किरायेदार सम्पत्ति पर कब्जा बनाये रखकर किरायेदार नहीं रह जाता। यद्यपि पट्टा खत्म होने के बाद अवैध कब्जा बनाये रखने वाले किरायेदार को जबरन बेदखल नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह उचित तरीके से सम्पत्ति में प्रवेश लेने वाले किरायेदार के पट्टे की समाप्ति पर कब्जा बनाये रखने को गैर-कानूनी साबित करने से नहीं रोक सकता। इस प्रकार, अपीलकर्ता पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद भी कब्जा बनाये रखने के दौरान मध्यवर्ती लाभ के भुगतान के लिए उत्तरदायी होगा।"
अपील खारिज करते हुए कोर्ट ने आगे कहा:
मकान मालिक सम्पत्ति के इस्तेमाल और आजीविका के होने वाले नुकसान की उस दर पर क्षतिपूर्ति हासिल करने का हकदार है, जिस पर मकान मालिक ने किरायेदार को किराया दिया था और अब यह सम्पत्ति किरायेदार द्वारा खाली किये जाने योग्य है। धारा 2(12) में निस्संदेह वह लाभ शामिल है, जो गलत तरीके से कब्जे वाला व्यक्ति सामान्य परिश्रम के साथ उस सम्पत्ति से अर्जित किया है। उस दर पर हर्जाने के भुगतान के लिए किरायेदार की देनदारी, जिस पर मकान मालिक परिसर को किराए पर दे सकता था, हो सकता है कि किरायेदार को सामान्य परिश्रम से प्राप्त होने वाले लाभ के समान न हो।
...एक बार लीज समाप्त हो जाने के बाद, पूर्ववर्ती किरायेदार अवैध कब्जाधारक किरायेदार बन जाता है। कानून के अनुसार की कार्यवाही को छोड़कर, उसे किसी अन्य तरीके से बेदखल नहीं किया जा सकता है। लेकिन कानून के दायरे में उसका अब कोई अधिकार या हित नहीं रह जाता। भले ही, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 108 के तहत, यदि इसके विपरीत कोई अनुबंध नहीं है, तो किरायेदार को धारा 108 (जे) के तहत अपने हित को पूरी तरह से या यहां तक कि उप-पट्टे या गिरवी द्वारा स्थानांतरित करने का अधिकार हो सकता है, लेकिन जब पट्टा समय के साथ समाप्त हो जाता है, तो पट्टेदार के रूप में उसका हित समाप्त हो जाएगा।
केस का विवरण
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड बनाम सुडेरा रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड | 2022 लाइव लॉ (एससी) 744 | सीए 6199/ 2022| 6 सितंबर 2022 | जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा
वकील: अपीलकर्ता के लिए एएसजी माधवी दीवान, प्रतिवादी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी।
हेडनोट्स
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908; धारा 2(12) - संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882; धारा 111 (ए) - पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद भी कब्जा बरकरार रखने वाला किरायेदार मध्यवर्ती मुनाफे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है – अवैध कब्जे वाला किरायेदार किसी भी प्रकार से कब्जा जमाकर किरायेदार नहीं हो सकता। यद्यपि कब्जाधारी किरायेदार को जबरन बेदखल नहीं किया जा सकता है, लेकिन यह उचित तरीके से सम्पत्ति में प्रवेश लेने वाले किरायेदार के पट्टे की समाप्ति पर कब्जा बनाये रखने को गैर-कानूनी साबित करने से नहीं रोक सकता।" (पैरा 60)
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