रायबरेली सड़क हादसा : सुप्रीम कोर्ट ने जांच पूरी करने के लिए CBI को दो सप्ताह और दिए

LiveLaw News Network

6 Sep 2019 8:34 AM GMT

  • रायबरेली सड़क हादसा : सुप्रीम कोर्ट ने जांच पूरी करने के लिए  CBI को दो सप्ताह और दिए

    उन्नाव गैंगरेप मामले से जुड़े रायबरेली सड़क हादसे मामले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को दो सप्ताह का और समय मिल गया है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को जांच एजेंसी को कहा है कि वो दो सप्ताह में जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल करें।

    इसके अलावा पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि वह ट्रायल जज के उस अनुरोध पर फैसला करे जिसमें पीड़िता के एम्स में बयान दर्ज करने के लिए कोर्ट बनाने को कहा गया है। सुनवाई के दौरान पीठ ने ट्रायल जज की रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा कि व्यवहारिक तौर पर दस दिनों के विलंब को माना जा सकता है क्योंकि तकनीकी आधार पर किसी को बरी होने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

    इससे पहले भी 19 अगस्त को सीबीआई की उस अर्जी पर विचार किया था जिसमें इस मामले की जांच पूरी करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा गया था लेकिन पीठ ने दो सप्ताह का समय और दिया था। 2 सितंबर को पीठ ने दिल्ली की तीस हजारी अदालत के जिला जज से पूछा था कि गैंगरेप मामले का ट्रायल कब तक पूरा होगा।

    दरअसल पहले केस में आरोपी शशि सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में ट्रायल कोर्ट को 45 दिनों में पूरा करने के निर्देश दिए थे। लेकिन इस अवधि में ये ट्रायल निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं हो सकता। इसी को लेकर हुई सुनवाई में पीठ ने कहा था कि ये ट्रायल निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए। इसलिए ट्रायल जज पीठ को बताएं कि मामले का ट्रायल कब तक पूरा होगा।

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को बलात्कार पीड़िता की ओर से दी गई चिट्ठी पर संज्ञान लेते हुए आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर व अन्य के खिलाफ दर्ज पांचों केसों को उत्तर प्रदेश से दिल्ली की तीस हजारी अदालत में ट्रांसफर कर दिया था।

    पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को दो सप्ताह के भीतर रायबरेली हादसे की जांच पूरी करने का निर्देश दिया था और दिल्ली की तीस हजारी के जिला जज धर्मेश शर्मा को तुरंत ट्रायल शुरू कर सभी केसों की 45 दिनों में सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए। पीठ ने सीबीआई अधिकारियों को कोर्ट में बुलाकर केस की जानकारी लेने के बाद पीड़िता, उसके परिवार, वकील व उसके परिवार को CRPF की सुरक्षा मुहैया कराने को कहा था। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़िता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश भी दिए थे। पीड़िता व वकील को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद लखनऊ से दिल्ली के एम्स लाया गया था।

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