सुप्रीम कोर्ट ने मैट्रिक्स सेल्युलर के जब्त ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स को रिलीज करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा
LiveLaw News Network
24 July 2021 2:09 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मैट्रिक्स सेल्युलर लिमिटेड द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को स्थगित कर दिया। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किए गए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को तत्काल रिलीज करने की मांग वाली याचिका में राहत देने से इनकार कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने एएसजी राजू द्वारा अनुरोध किए जाने के बाद जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए दिल्ली पुलिस को तीन सप्ताह का समय दिया है।
बेंच ने कहा कि,
"तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल किया जाए। रिज्वाइंडर के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाता है।।"
मैट्रिक्स सेल्युलर के ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स को दिल्ली पुलिस ने यह देखने के बाद जब्त कर किया कि उक्त सामाग्री संदिग्ध परिस्थितियों में पाए गए।
न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की खंडपीठ ने 29 जून को याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलों पर सुनवाई के बाद तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया था।
मैट्रिक्स सेल्युलर ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द किया जाए क्योंकि यह मानने के बावजूद कि मामले की जांच प्रारंभिक चरण में है, यह आदेश याचिकाकर्ता की कथित भूमिका के बारे में व्यापक और अनुचित टिप्पणियां करने के लिए आगे बढ़ता है। मामला जो याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच को स्थायी रूप से रंगने का प्रभाव करता है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टया यह देखते हुए कि मैट्रिक्स सेल्युलर लिमिटेड का कार्य भारत सरकार द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन का उल्लंघन है, दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किए गए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को तत्काल छोड़ने की मांग करने वाली अपनी याचिका में राहत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि पुलिस ने इसे संदिग्ध परिस्थितियों में पाया गया और जब्त किया।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने इस प्रकार कहा था कि,
" याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत प्राथमिकी, चालान और रसीदों के साथ-साथ मामले के तथ्य यह दिखाते हैं कि जब्त ऑक्सीजनकंसंट्रेटर को कथित तौर पर ऊपर बताए गए कानूनों, नियमों और कार्यकारी आदेशों के उल्लंघन में भारी लाभ मार्जिन पर बेचा गया था। याचिकाकर्ता इन उपकरणों के लिए लोगों को बिना जांचे-परखे झूठे अभ्यावेदन के माध्यम से अत्यधिक कीमतों पर ऑक्सीजन कंसंटेटर बेचने में लगा हुआ था, विशेष रूप से जब राज्य और पूरे देश में COVID-19 मामलों की तेजी से वृद्धि हुई और ऑक्सीजन सिलेंडर की गंभीर कमी थी।"