सुप्रीम कोर्ट ने जबरदस्ती हिस्टेरेक्टॉमी की रोकथाम की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

Brij Nandan

21 Feb 2023 6:43 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने जबरदस्ती हिस्टेरेक्टॉमी की रोकथाम की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारत सरकार को बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान राज्यों में हाशिए के समुदायों की महिलाओं पर किए गए कथित अवैध और जबरदस्ती हिस्टेरेक्टॉमी के मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए दायर एक जनहित याचिका में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

    जनहित याचिका को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।

    पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया,

    "राज्य सरकारों ने भी अपने हलफनामों में स्वीकार किया है कि ये तीन राज्यों में चल रहा है। तीन राज्य हैं- बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान। बिहार ने भी स्वत: संज्ञान लिया है। मानवाधिकार आयोग भी मानता है कि ये चल रहा है। मेरा अनुरोध है इसे लंबित रखें और केंद्र को जवाब दाखिल करने दें। यह एक केंद्रीय योजना है।"

    CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने निम्नलिखित आदेश दिया,

    "13 दिसंबर 2022 को, इस अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को इस शिकायत की जांच करने के लिए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था कि संबंधित अवधि में बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान राज्यों में अनावश्यक रूप से हिस्टेरेक्टॉमी की जा रही थी। भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज नहीं की है। भारत सरकार अगली तारीख तक अनुपालन करेगा। हम एएसजी ऐश्वर्या भाटी से अदालत की सहायता करने का अनुरोध करते हैं।"

    जनहित याचिका डॉ. नरेंद्र गुप्ता द्वारा दायर की गई है, जिसमें मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 14, 15, 21) और सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों के उल्लंघन को संबोधित करने की मांग की गई है, जिसे एक आरटीआई और कई समाचार पत्रों की रिपोर्ट में दर्ज किया गया था।

    याचिका में निजी स्वास्थ्य सेवा उद्योग में निगरानी, निरीक्षण और जवाबदेही तंत्र की स्थापना के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) योजना, चिकित्सा लागत के मुआवजे और संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए एक स्वतंत्र निगरानी की स्थापना का अनुरोध किया गया था।

    याचिका में दावा किया गया है कि गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों की अपर्याप्तता के कारण लंबी दूरी तय करने के लिए निजी अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर किया गया। इन महिलाओं को पेट में दर्द और खराब मासिक धर्म की शिकायत के बावजूद हिस्टेरेक्टॉमी के लिए मजबूर किया गया। इसके कारण मासिक धर्म स्वास्थ्य बिगड़ गया और कैंसर का खतरा बढ़ गया, कथित तौर पर निजी अस्पतालों द्वारा जबरदस्ती, धमकी और यहां तक कि लाभ के लिए अपहरण भी किया गया।

    याचिका में तर्क दिया गया है कि इन प्रक्रियाओं को सूचित सहमति के बिना किया गया था और लगभग 286 जबरदस्ती हिस्टेरेक्टॉमी अकेले राजस्थान में किए गए थे। मामला 18 मार्च 2013 से चल रहा है।

    केस टाइटल: डॉ. नरेंद्र गुप्ता बनाम भारत सरकार और अन्य। डब्ल्यूपी(सी) संख्या 131/2013

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