'जाओ बड़ी मछलियां पकड़ो, जो करोड़ों की लूट करते हैं' : सुप्रीम कोर्ट ने किसान के खिलाफ बैंक का केस खारिज किया

Sharafat

14 May 2022 2:32 PM GMT

  • जाओ बड़ी मछलियां पकड़ो, जो करोड़ों की लूट करते हैं : सुप्रीम कोर्ट ने किसान के खिलाफ बैंक का केस खारिज किया

    सुप्रीम कोर्ट ने बैंक से लोन लेने वाले एक किसान के ओटीएस (एकमुश्त निपटान) प्रस्ताव को स्वीकार करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए शुक्रवार को बैंक ऑफ महाराष्ट्र की खिंचाई की। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बैंक को किसान का ओटीएस प्रस्ताव स्वीकार करने का निर्देश दिया था, जिसके खिलाफ बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

    जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 21 फरवरी, 2022 के आदेश का विरोध करने वाली याचिका खारिज करते हुए कहा , "बड़ी मछली के पीछे जाएं। सुप्रीम कोर्ट में इस तरह का मुकदमा किसानों के परिवारों को आर्थिक रूप से खराब कर देगा।"

    पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

    "आप उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करते जो हजारों करोड़ लूटते हैं, लेकिन किसानों का मामला आने पर पूरा कानून बन जाता है। आपने डाउन पेमेंट भी स्वीकार कर लिया।"

    वर्तमान मामले में प्रतिवादी ने लोन लिया था और इसे एकमुश्त निपटान के रूप में भुगतान करने का इरादा रखता था, जिसकी राशि 3650000 रुपए थी। इसके अलावा प्रतिवादी ने बैंक में 35,00,000 रुपये जमा कर दिए थे।

    हालांकि बैंक की रिकवरी ब्रांच ने किसान को बताया कि उन्हें बकाया राशि के पूर्ण और अंतिम निपटान के रूप में 50.50 लाख रुपये जमा करने होंगे।

    इससे क्षुब्ध होकर प्रतिवादी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

    उनके वकील ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि 9 मार्च, 2021 के पत्र से पता चलता है कि याचिकाकर्ता को निर्धारित समय के भीतर ओटीएस राशि का न्यूनतम 10% भुगतान करना आवश्यक था और उसने समय में 3650000 रुपए में से 35,00,000/- रुपये जमा कर दिए थे।

    उन्होंने आगे कहा कि बैंक के पास एकमात्र विकल्प 'सूचना पत्र' जारी करने के चरण के बाद आगे बढ़ना था और यदि याचिकाकर्ता पात्र था तो 'मंजूरी पत्र' जारी करें। यह भी वकील का तर्क था कि बैंक इसे स्वीकार करने में बुरी तरह विफल रहा और इसके विपरीत, समझौता राशि को एकतरफा रूप से 50.50 लाख रुपये तक बढ़ाने का फैसला किया जो ओटीएस योजना के विपरीत था।

    जस्टिस सुजॉय पॉल और जस्टिस द्वारका धीश बंसल की बेंच ने बैंक का आदेश खारिज करते हुए कहा,

    "हम बैंक के आक्षेपित आदेशों और कार्रवाई के लिए मंज़ूरी देने में असमर्थ हैं। चूंकि याचिकाकर्ताओं ने 22.9.2021 को आदेश जारी करने की तारीख से दो महीने के भीतर वर्तमान याचिका दायर की, इसलिए हम इसे मंज़ूरी नहीं दे सकते। ओटीएस योजना के क्लाज़ 7 के अनुसार प्रस्ताव स्वतः समाप्त हो गया।

    याचिकाकर्ता ने न केवल उक्त आदेश को तुरंत चुनौती दी, यह उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने कभी भी एकतरफा निर्णय दिनांक 25.08.2021 को स्वीकार नहीं किया। अन्यथा जब पत्र दिनांक 25.8.2021 को अवैध माना जाए तो भी पॉलिसी का क्लॉज -7 ओटीएस लाभ का फल नहीं छीन सकता।"

    याचिकाकर्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा,

    "याचिकाकर्ताओं द्वारा दोनों मामलों में दिए गए ओटीएस प्रस्ताव को बैंक द्वारा स्वीकार किया जाएगा और 'मंजूरी पत्र' तुरंत जारी किए जाएंगे। जोर देने की जरूरत नहीं है, बैंक शेष औपचारिकताओं को पूरा करेगा और वहां से याचिकाकर्ताओं को सभी परिणामी लाभ प्रदान करेगा।"

    केस टाइटल: बैंक ऑफ महाराष्ट्र और अन्य बनाम मोहनलाल पाटीदार|

    विशेष अनुमति याचिका (सी) नंबर (एस).8088-8089/2022

    आदेश को पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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