सुप्रीम कोर्ट ने टेक्नोलॉजी के रचनात्मक उपयोग के लिए उड़ीसा हाईकोर्ट की प्रशंसा की कहा, अन्य हाईकोर्ट को भी इसे अपनाना चाहिए

Sharafat

22 March 2023 2:30 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने टेक्नोलॉजी के रचनात्मक उपयोग के लिए उड़ीसा हाईकोर्ट की प्रशंसा की कहा, अन्य हाईकोर्ट को भी इसे अपनाना चाहिए

    सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा राज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों के लोगों तक न्याय की पहुंच में सुधार लाने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के लिए सराहना की है।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ओडिशा प्रशासनिक न्यायाधिकरण को खत्म करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला कर रही थी। याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए तर्कों में से एक यह था कि ओएटी का उन्मूलन न्याय तक पहुंच के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।

    सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि न्याय तक पहुंच के अधिकार की व्याख्या इस अर्थ में नहीं की जा सकती है कि "हर गांव, कस्बे या शहर में क़ानून या संविधान द्वारा बनाए गए अधिनिर्णय के हर मंच को होना चाहिए।"इस संबंध में कोर्ट ने कहा कि ओएटी में लंबित मामलों की सुनवाई अब हाईकोर्ट करेगा।

    न्यायालय ने यह भी कहा कि उड़ीसा हाईकोर्ट ने बेंचों की स्थापना की है जो राज्य भर के कई शहरों और कस्बों में वर्चुअल काम करेंगे।

    सीजेआई द्वारा लिखित निर्णय चंद्रचूड़ ने कहा,

    "वास्तव में हाईकोर्ट की वर्चुअल बेंचों की संख्या ओएटी की बेंचों की संख्या से अधिक है। राज्य भर के वादी ओएटी की तुलना में अधिक आसानी से हाईकोर्ट तक पहुंच सकते हैं।"

    उड़ीसा हाईकोर्ट के मॉडल की सराहना करते हुए और अन्य हाईकोर्ट को इसे दोहराने की सलाह देते हुए निर्णय में कहा गया,

    "उड़ीसा हाईकोर्ट ने ओडिशा के अन्य हिस्सों से कटक तक यात्रा करने में लगने वाले समय को पाटने के लिए टेक्नोलॉजी का रचनात्मक उपयोग किया है। वास्तव में अन्य उच्च न्यायालयों को टेक्नोलॉजी के उपयोग को दोहराना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यापक रूप से फैले क्षेत्रों में न्याय की पहुंच प्रदान की जाती है। यह यह सुनिश्चित करेगा कि नागरिकों को उनसे संबंधित मामलों में उच्च न्यायालयों के समक्ष कार्यवाही का अवलोकन करके और उसमें भाग लेकर न्याय तक सच्ची पहुंच प्राप्त हो।"

    सीजेआई चंद्रचूड़ ने जनवरी में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के लिए क्षेत्रीय पीठों की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए खुली अदालत में उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ एस मुरलीधर की सराहना की थी । उड़ीसा हाईकोर्ट का उदाहरण देते हुए सीजेआई ने कहा कि अगर वर्चुअल कोर्ट की सुविधा दी जाती है तो क्षेत्रीय बेंचों का सवाल प्रासंगिकता खो देता है।

    सीजेआई ने मौखिक रूप से कहा,

    "ओडिशा में मुख्य न्यायाधीश मुरलीधर ने राज्य के प्रत्येक जिले के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा स्थापित की है। उन्होंने व्यवस्था का विकेंद्रीकरण किया है और अब राज्य के प्रत्येक जिले में बेंच हैं, इसलिए कोई भी जिला वकील हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हो सकता है।"

    जस्टिस चंद्रचूड़ ने पिछले साल सितंबर में ओडिशा न्यायिक अकादमी, कटक में रिकॉर्ड रूम डिजिटाइजेशन सेंटर ('आरआरडीसी') की पहली वर्षगांठ पर मुख्य भाषण देते हुए कहा था-

    " भारत के सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति की पहल को लागू करने में उड़ीसा हाईकोर्ट वास्तव में 'सबसे आगे' रहा है। "

    उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला था कि न्याय वितरण प्रणाली के परिवर्तन के लिए न्यायालय की क्षमताओं के निर्माण की आवश्यकता है जो स्केलेबल, स्थिर और महत्वपूर्ण रूप से आम लोगों और वकीलों दोनों के उपयोग के लिए डिज़ाइन की गई थी और आगे कहा-

    " आज उस दृष्टिकोण से मुझे उड़ीसा हाईकोर्ट में कार्रवाई में कई बदलावों का पहला गवाह बनने पर बहुत गर्व है, जिसकी अगुवाई मुख्य न्यायाधीश मुरलीधर कर रहे हैं। "

    हाल ही में वर्चुअल सुनवाई को मौलिक अधिकार घोषित करने की मांग करने वाली याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस बात को अस्वीकार कर दिया था कि हाईकोर्ट के कुछ मुख्य न्यायाधीश तकनीक को लागू करने के खिलाफ थे।

    केस टाइटल : उड़ीसा प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन बनाम भारत संघ और अन्य। एसएलपी (सी) नंबर 10985/2021

    साइटेशन : 2023 लाइव लॉ (एससी) 216

    फैसला पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें





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