अयोध्या विवाद : मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 18 अक्टूबर तक खत्म हो सुनवाई, चार हफ्ते में जज फैसला देंगे तो चमत्कार

LiveLaw News Network

26 Sep 2019 10:21 AM GMT

  • अयोध्या विवाद : मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 18 अक्टूबर तक खत्म हो सुनवाई, चार हफ्ते में जज फैसला देंगे तो चमत्कार

    अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने एक बार फिर साफ किया कि मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी होनी चाहिए ।

    गुरुवार को सुनवाई शुरू होते ही CJI गोगोई ने सभी पक्षकारों से कहा कि इस मामले में दस्तावेजों को देखते हुए अगर फैसला लिखने के लिए जजों की चार हफ्ते का समय मिलता है तो यह एक चमत्कार होगा। CJI ने कहा कि अब कुल मिलाकर साढ़े दस दिन की सुनवाई होनी है, लिहाजा पक्षकार इतने वक्त में ही सुनवाई पूरी करें क्योंकि 18 अक्टूबर के बाद एक भी अतिरिक्त दिन नहीं मिलेगा।

    पीठ ने नाराजगी जताई

    वहीं दोपहर में जब निर्मोही अखाड़ा से प्रबंधन के विवाद को लेकर धर्मदास की ओर से बहस करने के लिए पीठ से 20 मिनट का समय मांगा गया तो पीठ ने नाराजगी जताई। CJI ने कहा, " आज सुनवाई का 32वां दिन है और आप एक के बाद एक अर्ज़ी लेकर आ जाते हैं। हम अपने अंतिम दिवस तक काम करेंगे। हमने पहले समय तय किया है और उसी पर कायम रहेंगे । आप दूसरे पक्षकारों से बात कर समय तय कर लें।"

    पीठ ने कहा था 18 अक्टूबर तक सुनवाई होगी पूरी

    गौरतलब है कि पीठ ने 18 सितंबर को कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी हो जाएगी। वहीं संविधान पीठ ने पक्षकारों को एक बार फिर मध्यस्थता के जरिए समझौता करने की अनुमति दे दी थी । सुनवाई शुरू होते ही CJI ने पक्षकारों को कहा था कि सभी पक्षों को मिलकर संयुक्त प्रयास करना होगा कि सुनवाई और दलीलें 18 अक्टूबर तक पूरी हो जाए ताकि जजों को फैसला लिखने में चार सप्ताह का समय मिल जाए। साथ ही पक्षकारों के वकील कोर्ट में सुझाव भी दाखिल करें कि इस मामले में राहत किस तरह दी जा सकती है।

    दरअसल CJI गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं इसलिए उन्हें इससे पहले ये फैसला सुनाना होगा।

    सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ के सामने अपीलों का समूह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ है, जिसमें फैसला सुनाया गया था कि अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि को 3 भागों में विभाजित किया जाए, जिसमें 1/3 हिस्से में राम लला या शिशु राम के लिए हिंदू सभा द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाना है, इस्लामिक सुन्नी वक्फ बोर्ड में 1/3 और शेष 1/3 हिस्सा हिंदू धार्मिक संप्रदाय निर्मोही अखाड़ा को दिया जाए।

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