सुप्रीम कोर्ट ने अवैध धर्मांतरण के माध्यम से "भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने" की साजिश रचने के आरोपी को जमानत दी
Brij Nandan
23 Feb 2023 10:52 AM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को इरफान शेख नाम के एक आरोपी को जमानत दे दी, जिसे उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते ने अवैध रूप से इस्लाम में परिवर्तित करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
केंद्र सरकार के एक कर्मचारी शेख पर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने (धारा 121ए आईपीसी) और उत्तर प्रदेश में गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम के तहत अपराध का आरोप है।
आरोपी के खिलाफ आरोप ये है कि वह सुनने और बोलने में असक्षम पीड़ित व्यक्तियों की धर्मांतरण प्रक्रिया में शामिल था और अभियोजन पक्ष के अनुसार कानून के तहत इस तरह का धर्मांतरण प्रतिबंधित है। आरोपी एक साल सात महीने से हिरासत में है। ट्रायल शुरू हो गया है।
अभियुक्त की भूमिका और उसके द्वारा हिरासत में ली गई अवधि के संबंध में, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि मुकदमे के दौरान आरोपी को और हिरासत में रखना अनावश्यक है। आरोपी को निचली अदालत द्वारा लगाए गए नियमों और शर्तों पर जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया गया है।
खंडपीठ ने कहा कि शर्तों में से एक ये हो सकती है कि अभियुक्त ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना मुकदमे में उपस्थित होने के अलावा किसी भी कारण से उत्तर प्रदेश राज्य में प्रवेश न करे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जमानत नामंजूर किए जाने के बाद शेख ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
दो हफ्ते पहले बेंच ने यूपी एटीएस से पूछा था कि क्या उसकी हिरासत जारी रखना जरूरी है।
15 फरवरी को सुनवाई के दौरान आरोपी के लिए सीनियर एडवोकेट नित्या रामकृष्णन ने प्रस्तुत किया कि व्यक्तियों ने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया था और इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
वरिष्ठ वकील मामले में "भारत के खिलाफ युद्ध छेडऩे" के अपराध के आह्वान पर भी सवाल उठाते हैं। अपीलकर्ता की ओर से वकील शाहिद नदीम, फुरकान पठान एडवोकेट, आरिफ अली और सैफ अली ने वरिष्ठ वकील की सहायता की।
राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने प्रस्तुत किया कि अपराधों का समाज के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और आरोपी ने भोले-भाले व्यक्तियों को बदलने के लिए एक सरकारी कर्मचारी के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया।
चार्जशीट के मुताबिक, यूपी पुलिस ए.टी.एस. को सूचना मिली थी कि कुछ देशद्रोही/असामाजिक तत्वों और धार्मिक संगठनों ने आई.एस.आई. और विदेशी संगठनों के इशारे पर विदेशों से फंड प्राप्त कर लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित कराने में लिप्त हैं।
जांच के दौरान, एक उमर गौतम को धर्मांतरण रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इरफ़ान शेख (अपीलकर्ता), जो सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र, नई दिल्ली में एक दुभाषिया के रूप में काम कर रहा था, इस सिंडिकेट की एक महत्वपूर्ण कड़ी होने का आरोप लगाया गया था।
शेख के खिलाफ आईपीसी की धारा 120B, 121A, 123, 153A, 153B, 295A, 298, 417 और 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म पविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश (एक्ट) की धारा 3/5 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था।