'ये कोर्ट के मामले नहीं हैं': सुप्रीम कोर्ट ने गलवान में भारत-चीन टकराव में देश को हुए नुकसान के बारे में जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज की
Brij Nandan
5 Sep 2022 9:26 AM GMT
![सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2021/08/25/750x450_399258--.jpg)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साल 2020 में गलवान में भारत-चीन टकराव में देश को हुए नुकसान के बारे में जानकारी देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज की।
मामले की सुनवाई भारत के चीफ जस्टिस यू.यू. ललित और जस्टिस रवींद्र भट ने की।
शुरुआत में, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 14 और 15 जून, 2020 की रात को गालवान घाटी में झड़प हुई थी और टकराव के बाद भारतीय आधिकारिक का रुख यह था कि भारत ने कोई क्षेत्र नहीं खोया है। हालांकि, याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने जो जानकारी दी है वह गलत और भ्रामक है।
चीफ जस्टिस यू.यू. ललित ने तुरंत ध्यान दिया कि मामला राज्य की नीति से संबंधित है और कहा,
"ये राज्य के मामले हैं। क्षेत्र की सीमा पर झड़पें हो सकती हैं। चाहे क्षेत्र का नुकसान हुआ हो या क्षेत्र का कोई नुकसान नहीं हुआ हो, चाहे दूसरी तरफ से अतिक्रमण हुआ हो या हम उनके क्षेत्र में आगे बढ़े हैं, यह कोर्ट का मामला नहीं है।"
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने भारत सरकार से अनुरोध किया कि वह क्षेत्र के नुकसान की सीमा के बारे में सही जानकारी देने का निर्देश दें और तर्क दिया,
"भारत सरकार का आधिकारिक रुख यह है कि हमने कोई क्षेत्र को नहीं खोया है। यह न केवल भारत की जनता को भ्रामक करता है बल्कि यह जनता को अंधेरे में रखता है जबकि दुश्मन भारतीय सीमा पर सुरक्षा का निर्माण कर रहा है। यह भविष्य के लिए खतरा पैदा करता है।"
याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल: अभिजीत सराफ बनाम यूओआई डब्ल्यूपी (सी) नंबर 754/2021