सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर पीडीपी नेता वहीद-उर-रहमान पारा को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Brij Nandan

19 Oct 2022 6:04 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कथित आतंकवादी गतिविधियों को लेकर यूएपीए मामले में पीडीपी नेता वहीद उर रहमान पारा को जमानत देने के जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।

    जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि वह गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की व्याख्या के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को प्रभावित नहीं कर रही हैं।

    केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की उच्च न्यायालय की व्याख्या समस्याग्रस्त है और प्रतिवादी को दी गई जमानत को चुनौती देने की मांग की।

    तर्क दिया,

    "उसने A-47 बंदूकें खरीदी थीं। वह पाकिस्तान भी गया था।"

    पीठ ने कहा कि वे उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को महत्व नहीं दे रहे हैं।

    बेंच ने जमानत आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए अपने आदेश में दर्ज किया,

    "हम निश्चित रूप से आक्षेपित आदेश और यूएपीए अधिनियम की व्याख्या में किए गए किसी भी अवलोकन को (अस्पष्ट) नहीं दे रहे हैं।"

    जस्टिस कौल ने कहा,

    "एक जमानत मामले में यह सब नहीं आना चाहिए। एक जमानत आदेश स्पष्ट और छोटा यानी 2-4 पन्नों का होना चाहिए।"

    प्रतिवादी की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि कभी-कभी न्यायाधीशों को यूएपीए की व्याख्या में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है क्योंकि क़ानून जमानत देने के लिए प्रथम दृष्टया मामले की कमी के संबंध में संतुष्टि दर्ज करने की शर्त लगाता है।

    उच्च न्यायालय ने मई 2022 में पारित अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा एकत्र किए गए सबूतों को प्रथम दृष्टया सच मानने के लिए बहुत ही संक्षिप्त है।

    केस टाइटल: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर बनाम वहीद उर रहमान पारा| एसएलपी (सीआरएल) नंबर 9572/2022 II-सी


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