सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से हाईकोर्ट के प्रशासनिक कर्मचारियों के बैकडोर अपॉइंटमेंट्स के आरोपों पर गौर करने को कहा

Sharafat

28 March 2023 9:00 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से हाईकोर्ट के प्रशासनिक कर्मचारियों के बैकडोर अपॉइंटमेंट्स के आरोपों पर गौर करने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट, अधीनस्थ न्यायालयों, राज्य न्यायिक अकादमी, विधिक सेवा प्राधिकरण और ई कोर्ट मिशन मोड प्रोजेक्ट में प्रशासनिक कर्मचारियों की पिछले दरवाजे से कथित नियुक्तियों से संबंधित शिकायत पर गौर करने को कहा।

    मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ जम्मू और कश्मीर पीपुल्स फोरम द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट के वर्तमान और पूर्व न्यायाधीशों और कर्मचारियों के मौजूदा सदस्यों के रिश्तेदारों को बिना उचित चयन प्रक्रिया के नियुक्त किया गया है।

    पीठ ने कहा,

    " हम हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से याचिका की शिकायत पर गौर करने के लिए कहेंगे... जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय बढ़ा दिया गया है। विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से निर्देश लेने के बाद जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा काउंटर दायर किया जाएगा।"

    याचिका में 2007 के बाद से एडहॉक या विज्ञापनों के माध्यम से की गई नियुक्तियों को 'संदिग्ध' बताया गया है। याचिका में कर्मचारियों के मौजूदा सदस्यों और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की एक सूची दी गई है, जिन्होंने अपने रिश्तेदारों और रिश्तेदारों का पक्ष लिया है।

    याचिका आगे कहती है -

    "ऐसे उदाहरण हैं जहां मौजूदा नियमों में संशोधन केवल बैकडोर से नियुक्तियों की सुविधा के लिए और/या उच्च संवर्गों के खिलाफ पदाधिकारियों के रिश्तेदारों की नियुक्ति की सुविधा के लिए किया गया है जो अन्यथा केवल निचले संवर्गों के लिए पात्र थे और वह भी तब जब नियमित कानूनी भर्ती प्रक्रिया के बाद चयन किया गया हो।"

    आरोप है कि इन नियुक्तियों में पारदर्शी चयन प्रक्रिया का अभाव रहा। आगे प्रस्तुत किया गया है कि कोई सार्वजनिक नोटिस या विज्ञापन जारी नहीं किया गया था और नियुक्तियों को सबसे मनमाने ढंग से चुना गया था।

    यह कहा गया कि "याचिकाकर्ता संगठन के विनम्र विचार में किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के पास कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार चुने और नियुक्त किए बिना सार्वजनिक पद पर कब्जा करने का अधिकार नहीं है।

    याचिका में कहा गया है कि अगर निष्पक्ष चयन प्रक्रिया अपनाई जाती तो उच्च योग्य उम्मीदवार नियुक्त किए जा सकते थे। इसमें आरोप लगाया गया है कि एक दशक से अधिक समय से विभिन्न अदालतों में काम कर रहे दिहाड़ी मजदूर हैं जिन्हें नियमित नहीं किया गया है। हाईकोर्ट में अधिकारियों के करीबी लोगों को ही नियमित करने पर विचार किया गया है।

    याचिका एओआर, मिस्टर राज किशोर चौधरी के माध्यम से दायर की गई है।

    केस टाइटल: जम्मू और कश्मीर पीपुल्स फोरम बनाम जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट और अन्य। डब्ल्यूपी(सी) नंबर 702/2022

    Next Story