सुप्रीम कोर्ट ने खाड़ी क्षेत्र के लिए हवाई जहाज किराए की अत्यधिक कीमतों को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया, याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा

Sharafat

28 Sep 2023 12:02 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने खाड़ी क्षेत्र के लिए हवाई जहाज किराए की अत्यधिक कीमतों को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया, याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खाड़ी देशों से आने-जाने के लिए अत्यधिक हवाई यात्रा किराए को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

    सुप्रीम कोर्ट ने यह देखा कि याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निपटाए जाने के बजाय हाईकोर्ट के समक्ष उठाया जा सकता है।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ केरल प्रवासी एसोसिएशन द्वारा भारतीय विमानन अधिनियम के नियम -135 को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो एयरलाइंस को टिकट की कीमतें तय करने के लिए अधिकृत करती है।

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,

    "वर्तमान मामले में कार्रवाई के कारण की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए हमारा विचार है कि याचिकाकर्ताओं के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उपाय का सहारा लेना उचित होगा।"

    याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की छूट देते हुए याचिका निस्तारित कर दी गई।

    जनहित याचिका में उठाए गए ये मुद्दे जनहित याचिका में मुख्य रूप से खाड़ी क्षेत्र से आने-जाने वाली उड़ानों के लिए एयरलाइनों द्वारा अत्यधिक मूल्य वृद्धि के मुद्दे को संबोधित किया गया था।

    याचिका के अनुसार दुबई से कोच्चि और तिरुवनंतपुरम जैसे मार्गों के लिए हवाई किराया बेहद ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है, जिससे यात्रियों के लिए विकल्प गंभीर रूप से सीमित हो गए हैं।

    एयरलाइंस कोच्चि की उड़ानों के लिए 1,04,738 रुपये और तिरुवनंतपुरम की उड़ानों के लिए 2,45,829 रुपये तक चार्ज कर रही हैं। ये बढ़े हुए किराए सितंबर के अंत तक जारी रहने की उम्मीद हैं।

    जनहित याचिका में हवाई किराए में कमी और टिकट की कीमतों पर एक सीमा लागू करने की मांग की गई है। इसमें तर्क दिया गया कि भारतीय विमानन अधिनियम का मौजूदा नियम-135 एयरलाइंस को टिकट की कीमतें निर्धारित करने का अनियंत्रित अधिकार देता है, जिसके कारण केरल प्रवासी एसोसिएशन (केपीए) इसे भारतीय यात्रियों के अनुचित शोषण और यात्रा करने के उनके अधिकार का उल्लंघन मानता है।

    केपीए ने तर्क दिया कि सरकार ने एयरलाइन कंपनियों की उपभोक्ता विरोधी प्रथाओं को संबोधित करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए हैं, जिससे प्रवासियों को उन टिकटों के लिए 40,000 रुपये से 1.5 लाख रुपये के बीच भुगतान करना पड़ता है जिनकी कीमत 7,000 रुपये है।

    याचिका में उड़ान अवधि के आधार पर घरेलू उड़ानों के लिए किराया सीमा निर्धारित करने में सरकार की पिछली भागीदारी का भी संदर्भ दिया गया। वर्तमान में नियम यह निर्धारित करता है कि 40 मिनट से कम समय वाली उड़ानों की कीमत प्रति यात्री 2,900 रुपये (जीएसटी को छोड़कर) से अधिक नहीं हो सकती और 40 मिनट से अधिक समय वाली उड़ानों की कीमत 8,800 रुपये (जीएसटी को छोड़कर) प्रति यात्री से अधिक नहीं हो सकती है।

    केस टाइटल: केरल प्रवासी एसोसिएशन और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 989/2023 पीआईएल-डब्ल्यू

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