SC में नए नियम का सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने किया विरोध, संशोधन वापस लेने का प्रस्ताव

LiveLaw News Network

21 Sep 2019 3:15 AM GMT

  • SC में नए नियम का सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने किया विरोध, संशोधन वापस लेने का प्रस्ताव

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के नियमों में संशोधनों के खिलाफ आपत्ति जताते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें सात साल तक की जेल की सजा के लिए जमानत के मामलों की सुनवाई के लिए एकल पीठ के गठन का प्रावधान किया गया है।

    प्रस्ताव में कहा गया है, "यह आश्चर्य की बात है कि ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को शामिल किए बिना और / या परामर्श के बिना लाया गया है, जो सुप्रीम कोर्ट में न्याय के वितरण की प्रक्रिया में प्रमुख हितधारक है।"

    यह कहते हुए कि सुप्रीम कोर्ट नियमों के आदेश VI नियम 1 में संशोधन के बारे में जानने के बाद वह "हैरान" है, एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों से "संशोधित नियम को लागू न करने और नियम को वापस लेने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है।

    सुप्रीम कोर्ट में नया नियम : जमानत, अग्रिम जमानत और ट्रांसफर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी एक जज की पीठ

    यह है सुप्रीम कोर्ट नें नया नियम

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों से निपटने के लिए अब एक और नया नियम बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में अब जमानत, अग्रिम जमानत और ट्रांसफर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक जज की पीठ का गठन होगा।

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक राष्ट्रपति की मंजूरी से संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत सुप्रीम कोर्ट नियम 2013 में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट नियम (संशोधन) 2019 को लागू किया गया है। इनके तहत

    * CrPC की धारा 437, 438 या 439 के तहत जमानत या अग्रिम जमानत को लेकर SLP, जिन अपराधों में सात साल तक की सजा का प्रावधान होगा

    * CrPC की धारा 406 के तहत ट्रांसफर याचिकाएं और

    * CPC की धारा 25 के तहत सिविल मामलों में जरूरी ट्रांसफर

    की याचिका की सुनवाई CJI द्वारा नामांकित एकल जज पीठ करेगी। अधिसूचना में कहा गया है कि CJI समय- समय पर इसमें और केसों की श्रेणी जोड़ सकते हैं।

    गौरतलब है कि अभी तक सुप्रीम कोर्ट में कम से कम दो जजों की पीठ किसी मामले की सुनवाई करती है। इसके बड़ी तीन जजों की पीठ होती है और फिर 5,7,9,11 और 13 जजों की संविधान पीठ का गठन होता है।

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