सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के क्षेत्रीय जल से परे पर्स सीन फिशिंग की अनुमति दी
Brij Nandan
24 Jan 2023 11:31 AM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तमिलनाडु सरकार द्वारा मछली पकड़ने के लिए पर्स सीन नेट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के 17 फरवरी, 2022 के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग करने वाले अंतरिम आवेदनों में प्रतिबंधित अंतरिम आदेश पारित किया।
कोर्ट ने शर्तों के साथ तमिलनाडु के क्षेत्रीय जल से परे विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर पर्स-सीन मछली पकड़ने की अनुमति दी गई।
जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने शर्तें इस पर अनुमति दी,
1. केवल पंजीकृत पोत को ही अनुमति दी जाएगी अर्थात अधिनियम की धारा 11 के तहत पंजीकृत मछली पकड़ने वाले जहाज को अनुमति दी जाएगी।
2. मत्स्य विभाग ऐसी नावों को ही अनुमति देगा जो अनुमोदित जलयान ट्रैकिंग प्रणाली से युक्त हों।
3. जहाजों को सप्ताह में केवल दो बार यानी प्रत्येक सप्ताह के सोमवार और गुरुवार को संचालित करने की अनुमति होगी।
4. जिन जहाजों को यह अनुमति दी गई है वे सुबह 8 बजे या उसके बाद समुद्र तट छोड़ देंगे और उसी दिन शाम 6 बजे तक वापस आ जाएंगे।
5. आईडी कार्ड साथ रखना अनिवार्य होगा।
इस आदेश पारित करने के बाद जस्टिस बोपन्ना ने टिप्पणी की कि अदालत इस पर विचार करने और सभी पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर ये आदेश पारित कर रही है।
उन्होंने बाद में यह भी कहा कि यह आदेश "जियो और जीने दो" (लिव एंड लेट लिव) पर आधारित है।
आगे कहा,
"हम सभी आकस्मिकताओं को ध्यान में नहीं रख सकते। यह आदेश यह सुनिश्चित करने के लिए है कि हर निकाय को इस तरह की नीति का पालन करना चाहिए। इससे अधिक कुछ नहीं।"
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु राज्य द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखा था। कोर्ट ने कहा था कि प्रतिबंध अवैध या भेदभावपूर्ण नहीं है।
आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिकाओं के एक बैच में अंतरिम आवेदन दायर किए गए थे।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि जनवरी 2022 में हाईकोर्ट ने संशोधित तमिलनाडु समुद्री मत्स्य पालन नियमन नियम, 1983 के नियम 17 (7) को चुनौती देने वाली पूमपुहर पारंपरिक मछुआरों की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें जोड़ी ट्रॉलिंग द्वारा मछली पकड़ना या पर्स-सीन नेट के साथ मछली पकड़ने वाले जहाज के मालिक को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था कि मछली पकड़ना केवल 3 महीने का मौसम है, याचिकाकर्ता के वकील ने आज सुनवाई में कहा कि प्रतिबंध से तमिलनाडु में लगभग 15 लाख मछुआरे प्रभावित हुए हैं।
अर्जी में तर्क दिया गया था कि राज्य का प्रतिबंध मनमाना है और भारत संघ की नीति के विपरीत है।
याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया था कि राज्य द्वारा विशेषज्ञ समिति और मछुआरों पर विचार किए बिना कानून पारित किया गया था और इसके परिणामस्वरूप 15 लाख लोगों की नौकरी चली गई।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि क्या राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र के बाहर मछुआरों को 12 समुद्री मील से परे पर्स-सीन मछली पकड़ने की अनुमति देने के लिए एक विनियमन लाया जा सकता है, ताकि यह उनकी आजीविका को प्रभावित न करे।
सीनियर गोपाल शंकरनारायणन ने अदालत के समक्ष दो महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर इशारा किया था।
उन्होंने प्रस्तुत किया था,
"जब तक यौर लॉर्डशिप अंतरिम आदेश नहीं देते हैं, तब तक हम जाकर मछली नहीं पकड़ पाएंगे और मछली पकड़ने का मौसम अब से डेढ़ महीने में शुरू हो जाएगा। दूसरा पहलू यह है कि भारत सरकार के मत्स्य विभाग ने पर्स सीन मछली पकड़ने पर कोई प्रतिबंध लगाया है। यह उनके द्वारा अपने संक्षिप्त हलफनामे में प्रस्तुत किया गया है। वे यह भी कहते हैं कि इस तरह की मछली पकड़ने से कोई पर्यावरणीय समस्या नहीं हुई है। इसलिए कुछ शर्तों के अधीन इसकी अनुमति दी जा सकती है।"
शंकरनारायणन ने आगे कहा कि 12 समुद्री मील से आगे, निश्चित रूप से कोई प्रतिबंध नहीं है। इसलिए कम से कम डेढ़ महीने में मछली पकड़ने का मौसम शुरू हो रहा है और इसलिए हमें 12 समुद्री मील से परे पर्स-सीन मछली पकड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि ये मछुआरे अपनी आजीविका चला सकें।
बेंच ने टिप्पणी की थी,
"यह केवल इसी स्थिति में है कि 12 मील से आगे की अनुमति नहीं दी जा रही है। उस स्थिति को हमें स्पष्ट करें। अगर आप उन्हें रोकते हैं, तो वे 12 मील के बाहर भी नहीं जा पाएंगे। तंत्र क्या है कि आप देखते हैं कि वे इस 12 मील में मछली नहीं पकड़ते हैं लेकिन मछली पकड़ने के लिए इसके बाहर जाने की अनुमति है।"
केस टाइटल: गणसेकर व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य| डब्ल्यूपी (सी) 262 ऑफ 2022