दुखद हालात : सुप्रीम कोर्ट ने   COVID-19 प्रबंधन को लेकर दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु को नोटिस जारी किया

LiveLaw News Network

12 Jun 2020 9:13 AM GMT

  • दुखद हालात : सुप्रीम कोर्ट ने    COVID-19 प्रबंधन को लेकर दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु को नोटिस जारी किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को COVID-19 स्थिति के प्रबंधन को लेकर दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की सरकारों को नोटिस जारी किया।पी

    पीठ ने कहा कि

    "मीडिया रिपोर्टों ने दिल्ली और कुछ अन्य राज्यों में कोरोना रोगियों की देखभाल के मामलों में खेदजनक स्थिति दिखाई है।"

    न्यायालय ने निर्देश दिया कि इन राज्यों के मुख्य सचिवों को सरकारी अस्पतालों में रोगियों की देखभाल की स्थिति पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और इस संबंध में एक विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए।

    कोर्ट ने केंद्र सरकार को मामले में अपनी प्रतिक्रिया देने का भी निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 जून को होगी।

    जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने स्वतः संज्ञान लेकर शुरू की सुनवाई " इन रि फॉर प्रॉपर ट्रीटमेंट ऑफ COVID -19 पेशेंट्स एंड डिग्नीफाइड हैंडलिंग ऑफ डेड बॉडीज इन द हॉस्पिटल, ETC" पर ये कदम उठाया।

    दिल्ली में COVID-19 की टेस्टिंग बहुत कम हो गई

    पीठ ने दिल्ली में COVID-19 टेस्टिंग दरों में कमी पर चिंता व्यक्त की।

    पीठ ने कहा,

    "COVID-19 रोगियों (दिल्ली में) की टेस्टिंग मई 2020 के महीने की तुलना में कम हो गई है। COVID19 पॉजिटिव रोगियों की संख्या बढ़ रही है और टेस्टिंग कम हो रही है। हम राज्य से टेस्टिंग की संख्या बढ़ाने का आह्वान करते हैं। जिन लोगों को इसकी आवश्यकता है, उन्हें इससे इनकार नहीं किया जाना चाहिए।"

    पीठ ने आदेश में उल्लेख किया,

    "रिपोर्टों से पता चलता है कि कोरोना से पीड़ित मरीज अस्पताल में प्रवेश पाने के लिए दर- दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं , जबकि विभिन्न अस्पतालों में बेड खाली हैं। मीडिया ने दिल्ली में मरीजों की दयनीय स्थिति को दिखाया है।" शीर्ष अदालत ने दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल को भी नोटिस जारी किया है।

    शवों से बुरे बर्ताव के भयानक दृश्य

    पीठ ने शवों से बुरे बर्ताव के "भयानक दृश्यों" का भी उल्लेख किया।

    पीठ कहा है,

    "19 जून को इंडिया टीवी ने एक वीडियो पर रिपोर्ट पर प्रकाश डाला है जहां मरीज़ दयनीय स्थिति में हैं। लॉबी, वेटिंग एरिया, वार्डों में शव ... यह एक सरकारी अस्पताल की स्थिति है।"

    अदालत ने कहा,

    "हालांकि, 15 मार्च को जारी किए गए निर्देशों की प्रकृति में शवों को संभालने के लिए दिशानिर्देश हैं, हम देखते हैं कि दिशानिर्देशों का कोई उचित पालन नहीं किया जा रहा है। मृत्यु के बाद, मरीजों के रिश्तेदारों को भी सूचित नहीं किया जाता है, जैसा कि मीडिया द्वारा रिपोर्ट किया गया है।"

    कृपया अस्पतालों में लोगों की विकट परिस्थितियों को देखें, शव वार्ड में पड़े हुए हैं, शव कचरे में पाए जाते हैं। मीडिया ने इन विकट परिस्थितियों को उजागर किया है।"

    लोगों से जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है, " पीठ ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से टिप्पणी की।

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