समुद्र में डूबा जहाज : 23 साल के बाद जहाज मालिक को NCDRC से मिली राहत, बीमा राशि चुकाने का आदेश

LiveLaw News Network

10 Sept 2019 9:47 AM IST

  • समुद्र में डूबा जहाज : 23 साल के बाद जहाज मालिक को NCDRC से मिली राहत, बीमा राशि चुकाने का आदेश

    1996 में ओमान में डूबे एक समुद्री जहाज को लेकर एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अब NCDRC ने राष्ट्रीय बीमा कंपनी लिमिटेड (बीमाकर्ता) को जहाज के मालिक को 1.2 करोड़ रुपये की बीमा राशि ब्याज समेत चुकाने का निर्देश दिया है। ये जहाज ओमान में एक दुर्घटना के चलते डूब गया था लेकिन इस पर चालक दल के सदस्य बच गए थे।

    ये आदेश केसरबेन, जो जहाज की मालकिन थी, उनकी शिकायत पर आया है। ' एमएसवी चमस्टार' नामक इस जहाज का 1996 में एक वर्ष की अवधि के लिए राष्ट्रीय बीमा कंपनी के साथ बीमा कराया गया था।

    केसरबेन का यह मामला था कि जहाज 10 अप्रैल, 1996 की रात को ओमान से दुबई के रास्ते मुंबई लौटते समय समुद्री चट्टान से टकराकर एक दुर्घटना का शिकार हुआ और ओमान में डूब गया। जिस समय जहाज डूबा था, उसमें कथित तौर पर चालक दल के 19 सदस्य सवार थे। शिकायत के अनुसार, जहाज के डूबने पर, सभी चालक दल के सदस्य नाव पर सवार हो गए उन्हें ओमान नेवी द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। रिहाई की व्यवस्था होने तक उन्हें जेल में रखा गया था और फिर बाद में उन्हें भारत वापस भेज दिया गया।

    जब राष्ट्रीय बीमा कंपनी को डूबने की घटना के बारे में सूचित किया गया तो उसने नुकसान की सत्यता की जांच करने के लिए विभिन्न सर्वेक्षणकर्ताओं को नियुक्त किया था। हालांकि सर्वेक्षण में से किसी ने भी अपनी रिपोर्ट में जहाज के डूबने और इसके डूबने के तरीके की स्पष्ट रूप से पुष्टि नहीं की।

    सर्वेक्षणकर्ताओं की रिपोर्ट प्राप्त होने पर बीमा कंपनी ने 2004 में केसरबेन के दावे को रद्द कर दिया। दावे को खारिज करने के लिए आधार दिया गया कि कथित डूब के दावे के समर्थन में पर्याप्त सबूतों की कमी थी।

    बीमाकर्ता ने विशेष रूप से इंगित किया कि ओमान में भारतीय काउंसिल के समक्ष 'नोट ऑफ़ प्रोटेस्ट ' दर्ज नहीं किया गया था और एक प्रासंगिक पोर्ट क्लीयरेंस सर्टिफिकेट ( PCC) की कमी ने दावे को और कमजोर कर दिया।

    NDRC ने पाया कि शिकायत में निपटाया जाने वाला प्राथमिक प्रश्न यह था कि क्या पोत वास्तव में ओमान के पास डूब गया था।

    ओमान के तटरक्षक पुलिस विभाग द्वारा मैसर्स वेबस्टर एंड कंपनी (नियुक्त सर्वेयरों में से एक) के प्रतिनिधि को लिखा गया एक पत्र NCDRC बेंच के समक्ष रखा गया था। इस पत्र के अनुसार, ओमान की रॉयल नेवी ने बताया कि बॉम्बे के लिए जा रहे भारतीय चालक दल के 19 सदस्यों के साथ एक जहाज वास्तव में अर्ध-जलमग्न चट्टान से टकराय और बाद में डूब गया था।पीठ के समक्ष रखे गए अभिलेखों के अवलोकन के बाद NCDRC के सामने संभावनाओं के प्रसार से परे ये साबित हो गया था कि 'चमस्टार' नामक पोत वास्तव में ओमान के पास डूब गया था।

    कुछ दस्तावेजों को पेश नहीं करने के संबंध में बेंच ने कहा कि "नोट ऑफ़ प्रोटेस्ट" दर्ज नहीं किया जा सकता था क्योंकि चालक दल के सदस्यों को पुलिस द्वारा ओमान में चार दिनों के लिए हिरासत में लिया गया था। इसके अलावा PCC प्रस्तुत नहीं किया जा सकता क्योंकि यह जहाज डूब जाने पर खो गया था।

    डूबने की घटना में बेंच ने पोत के नुकसान के लिए केसरबेन को देय मुख्य राशि के संबंध में कोई विवाद नहीं पाया जिसका 1.2 करोड़ रुपये का बीमा किया गया था। ब्याज और मुआवजे के भुगतान के संबंध में बेंच ने बीमा कंपनी के इस विवाद को खारिज कर दिया कि 'नोट ऑफ़ प्रोटेस्ट' और 'PCC' न प्रस्तुत करने के कारण ब्याज का भुगतान करने का कोई आधार तैयार नहीं किया जा सकता। हालांकि बेंच का मानना ​​था कि चूंकि बीमा कंपनी अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिए दावा की गई राशि का आनंद ले रही है इसलिए वह केसरबेन के लिए ब्याज से इनकार नहीं कर सकती।

    इन टिप्पणियों के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय बीमा कंपनी को आदेश दिया गया कि वह IRDA के संरक्षण 9 (पॉलिसीधारकों के हितों का संरक्षण) विनियम 2002 के अनुसार, 1 फरवरी, 2003 से मूल राशि पर मुआवजे के रूप में 9% ब्याज का भुगतान करे। IRDA का नियम 9 बीमाधारक द्वारा दर्ज दावे पर निर्णय लेने के लिए बीमाकर्ता को अधिकतम 9 महीने की अवधि देता है।



    Tags
    Next Story