जब किसी आदेश को बदला नहीं गया है तो सीपीसी की धारा 144 (बहाली) लागू नहीं होगी: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

8 Nov 2019 6:13 AM GMT

  • जब किसी आदेश को बदला नहीं गया है तो सीपीसी की धारा 144 (बहाली) लागू नहीं होगी: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 144 उस स्थिति में लागू नहीं होगी अगर कोई आदेश वापस नहीं लिया गया है या उसे बदला नहीं गया है।

    बंसीधर शर्मा (अब मृत) बनाम राजस्थान राज्य मामले में कब्जे से संबंधित मुकदमे को निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के माध्यम से अपीलकर्ता को संबंधित परिसंपत्ति का कब्जा दे दिया

    अपील को अंततः खारिज कर दिया गया, इसलिए, धारा 151 (144 के साथ पढ़ी जाने वाली) के तहत एक याचिका दायर कर संबंधित परिसंपत्ति पर कब्जे की बहाली की मांग की गई। हाईकोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया और प्रतिवादी को इस परिसंपत्ति का कब्जा हासिल करने की आजादी दी गई और अगर जरूरी हुआ तो ऐसा करने के लिए पुलिस की मदद भी लेने का आदेश दिया।

    इस मामले में दायर अपील की सुनवाई न्यायमूर्ति एमएम शंतनागौदर और अजय रस्तोगी की पीठ ने की।

    पीठ ने धारा 144 के बारे में कहा :

    "धारा 144 उस स्थिति में लागू होगी है जब किसी आदेश को अपील या इस उद्देश्य के लिए गठित किसी भी तरह की सुनवाई में वापस ले लिया गया है या उसे बदल दिया गया है। बहाली का सिद्धांत यह है कि किसी आदेश को बदलने की स्थिति में क़ानून के तहत इस मामले के पक्षकारजिसको इस फैसले से लाभ हुआ का यह दायित्व बनता है कि वह दूसरे पक्ष को जो घाटा हुआ है उसकी भरपाई करे।

    फैसले को संशोधित करने या उसको उलटने के कारण यह दायित्व खुद ही बनाता है और बहाली करते हुए, अगर ऐसा हो सकता है तो अदालत पक्षकारों को उसी स्थिति में ले लाती है जब अदालत ने उनको अपनी कार्रवाई से विस्थापित किया था।"

    इस सन्दर्भ में अदालत ने मूर्ति भवानी माता मंदिर बनाम राजेश मामले में आये फैसले का हवाला दिया।

    अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता को उक्त परिसंपत्ति का कब्जा दिलाने के लिए निचली अदालत ने कोई आदेश नहीं दिया था. हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश से अपीलकर्ता को इस परिसंपत्ति का कब्जा दिलाया गया था जो लंबित अपील पर सुनवाई तक के लिए था और जिसका उल्लेख इसमें किया गया है और जब अपील को खारिज किया गया तो इसकी तार्किक परिणति यह थी कि हाईकोर्ट ने 20 अप्रैल 2018 के अपने आदेश में अपीलकर्ता को परिसंपत्ति का कब्जा वापस प्रतिवादी को देने को इस आधार पर करने को कहा कि अपीलकर्ता की पहली अपील को खारिज कर दिए जाने के समय उस पर यह दायित्व था की वह प्रतिवादी को इस परिसंपत्ति का कब्जा दिलाये क्योंकि अंतरिम आदेश को खारिज कर दिया गया था।

    अपील को ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा : ...

    "इस बारे में कोई फैसला जयपुर शहर के अतिरिक्त जिला और सत्र जज नंबर 1 ही दे सकता है न कि हाईकोर्ट जिसके क्षेत्राधिकार में यह नहीं आता, यह अतार्किक है, और ऐसा कोई आदेश निचली अदालत ने नहीं दिया था जिसको इस उद्देश्य के लिए बदला जाता या उलटा जाता...निर्विवाद रूप से अपीलकर्ता-वादी को इस परिसंपत्ति का कब्जा हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के माध्य से बहाल किया गया जो प्रथम अपील पर होने वाले फैसले तक के लिए था जिसे अब अंततः ख़ारिज कर दिया गया है और इसका तार्किक परिणाम यह है कि इसका शांतिपूर्ण कब्जा प्रतिवादी-बचावकर्ता को दे दिया जाए. इस परिस्थिति में, हमारी राय में सीपीसी की धारा 144 लागू नहीं होती क्योंकि किसी आदेश को उलटा या बदला नहीं गया है।..."

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहांं क्लिक करेंं



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