एडवोकेट एसके ढींगरा की एससी परिसर में मौत पर एससीबीए ने एससी चिकित्सा एवं सुरक्षा स्टाफ़ की आलोचना की; CJI से परिसर में चिकित्सा सुविधाओं में कमी को दूर करने का आग्रह किया

LiveLaw News Network

11 July 2020 4:06 PM GMT

  • एडवोकेट एसके ढींगरा की एससी परिसर में मौत पर एससीबीए ने एससी चिकित्सा एवं सुरक्षा स्टाफ़ की आलोचना की; CJI से परिसर में चिकित्सा सुविधाओं में कमी को दूर करने का आग्रह किया

    सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने परिसर में सुप्रीम कोर्ट सुरक्षा स्टाफ़ और एनडीएमसी संचालित क्लीनिक के चिकित्साकर्मियों के ख़िलाफ़ एक प्रस्ताव पास कर परिसर में एडवोकेट एसके ढींगरा की मौत के लिए उनकी आलोचना की है।

    एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि इस तरह की घटना दुबारा नहीं घटे और एम्बुलेंस, स्टाफ़, उपकरण और जीवन रक्षक दवाइयाँ अदालत परिसर के इस एनडीएमसी क्लीनिक में हमेशा ही उपलब्ध हो।

    एसोसिएशन ने मांग की है कि इस क्लीनिक में मेडिकल सुविधाओं में सुधार किया जाए और यहाँ एम्बुलेंस, प्रशिक्षित डॉक्टर और सक्षम मेडिकल स्टाफ़ उपलब्ध होने चाहिए।

    यह भी कहा किया गया कि आपातकाल के लिए दवाइयां ख़रीदी जाएं और उन्हें एससीबीए के ऑफ़िस चेम्बर ब्लॉक में ही डॉक्टरों की परामर्श से रखा जाए।

    अधिवक्ता एसके ढींगरा (80) की 8 जुलाई को हृदयाघात से सुप्रीम कोर्ट परिसर में ही मौत हो गई। आरोप है कि उन्हें परिसर में मौजूद सरकारी क्लीनिक से कोई मेडिकल मदद नहीं मिल सकी, यहां तक कि कोई डॉक्टर भी यहाँ मौजूद नहीं था।

    जब ढींगरा को अटैक हुआ उस समय वह सुप्रीम कोर्ट के अपने चेम्बर में बैठे हुए थे। उनके क्लर्क ने तत्काल सुप्रीम कोर्ट परिसर के दवाखाने में फ़ोन किया पर उसे बताया गया कि डॉक्टर क्लीनिक में नहीं है। क्लर्क ने ढींगरा की बेटी एडवोकेट शेफाली मित्रा को भी फ़ोन किया जो वहां तत्काल पहुँची।

    शेफाली ने भी कई बार फ़ोन कर उनके चेम्बर में किसी डॉक्टर को भेजने की बात कही और उन्हें सोर्बीट्रेट देने को कहा, लेकिन ऐसी कोई भी सुविधा उन्हें नहीं मिल पायी।

    सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर वह गेट नंबर B पर पहुंची पर बाहर जाने का गेट होने के कारण उन्हें इससे अंदर नहीं जाने दिया गया जबकि उन्होंने अपनी इमर्जेंसी बतायी पर गार्ड ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी।

    पिछले 40 सालों से जिस सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने प्रैक्टिस की थी उसी में उनकी मौत हो गई और उन्हें एक घंटे तक किसी भी तरह की चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पायी। उनकी मौत से शीर्ष अदालत में मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए तैयारियों को लेकर बहुत सारे गंभीर प्रश्न उठ खड़े हुए हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को ढींगरा की मौत की ज़िम्मेदारी अवश्य ही लेनी चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने चिकित्सा में लापरवाही की जाँच को लेकर एक प्रस्ताव पास किया। संघ ने एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाने की भी मांग की और कहा कि इमरजेंसी की स्थिति के बारे में सुरक्षा व्यवस्था को सतर्क किया जाए।

    प्रस्ताव पढें



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