J&K हाईकोर्ट फैसला लेने की बेहतर स्थिति में, सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों में लैंडलाइन और इंटरनेट बहाल करने की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार
LiveLaw News Network
2 Oct 2019 1:12 PM IST
कश्मीर में इंटरनेट और परिवहन आदि पर पाबंदी का घाटी के नागरिकों की स्वास्थ्य सेवा पर गंभीर परिणाम पड़ा है, ऐसा सुप्रीम कोर्ट को मंगलवार को बताया गया।
वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने जस्टिस एन. वी. रमना, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी. आर. गवई की 3 जजों की बेंच के सामने कहा, "मेडिकल केयर की सुविधाएं श्रीनगर में है और दूर-दराज के जिलों से आने वाले लोग वहां तक नहीं पहुंच सकते।" वरिष्ठ वकील ने कहा कि इंटरनेट बंद होने से नागरिकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है क्योंकि "प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना सहित अन्य स्वास्थ्य योजनाएं इंटरनेट से जुड़ी हुई हैं।"
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का जवाब
हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि ऐसे सभी दावे गलत और भ्रामक हैं। उन्होंने कहा, "उनके द्वारा कुछ और कहा जा रहा है जिसे मैं अब नहीं कहना चाहता।"
जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से बोलते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने वाले राष्ट्रपति के आदेश के बाद से लेकर अब तक 16 लाख से अधिक मरीजों ने आउट-रोगी सेवाओं (OPD) का उपयोग किया है।
कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका में दायर केंद्र के हलफनामे में यह कहा गया है कि 5 अगस्त के बाद जम्मू-कश्मीर के सरकारी अस्पतालों में लोगों के लिए 16,54,106 OPD उपचार और 15,768 प्रमुख सर्जरी हुई हैं। हलफनामे में 95, 756 दंत चिकित्सा का भी जिक्र किया गया है।
"आंकड़े स्वतंत्र रूप से नहीं हैं सत्यापित"
अदालत में इससे असंतुष्ट होकर अरोड़ा ने कहा कि आंकड़े स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं हैं, क्योंकि इन आंकड़ों की 5 अगस्त से पहले के आंकड़ों से कोई तुलना नहीं की गई थी। दरअसल मूलभूत सुविधाओं तक पहुंच के मुद्दे पर कई याचिकाओं पर पहली सुनवाई में अदालत ने केंद्र को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने डॉ. समीर कौल द्वारा घाटी में अस्पतालों तक पहुंच की कमी का हवाला देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जस्टिस रमना ने कहा, "जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय इस मामले में निर्णय लेने के लिए बेहतर स्थिति में है।"
दरअसल सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू-कश्मीर के विभाजन से संबंधित सभी याचिकाओं को समय की कमी के कारण ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
राष्ट्रपति के आदेश की वैधता से लेकर मीडिया की आज़ादी पर अंकुश लगाने, घाटी में किशोरों की गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखने जैसी कई याचिकाओं की सुनवाई करने के लिए 'कश्मीर बेंच' मंगलवार को पहली बार बैठी।