Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

WB में रेलवे पुल और भारत-बांग्लादेश सीमा तक सड़क चौड़ी करने के लिए पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ पैनल का गठन किया

LiveLaw News Network
10 Jan 2020 5:06 AM GMT
WB में रेलवे पुल और भारत-बांग्लादेश सीमा तक सड़क चौड़ी करने के लिए पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ पैनल का गठन किया
x

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पर्यावरण विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है जो पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर रेलवे ओवर ब्रिज ( RoB) के निर्माण और बारासात से पेट्रापोल तक राष्ट्रीय राजमार्ग-112 के चौड़ीकरण के लिए 350 से अधिक पेड़ों की कटाई के विकल्प का सुझाव देगी।

पीठ ने कहा, "जब हम एक विरासत के पेड़ को काटते हैं तो इन सभी वर्षों में पेड़ द्वारा उत्पादित ऑक्सीजन के मूल्य की कल्पना भी करें।"

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने चार सदस्यीय समिति, जिसमें विज्ञान और पर्यावरण केंद्र की पर्यावरणविद् सुनीता नारायण शामिल हैं, को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने और पांच सप्ताह के बाद मामले को सूचीबद्ध करने के लिए कहा।

पीठ ने कहा, "यह मामला पर्यावरण की गिरावट और विकास के बीच सामान्य दुविधा प्रस्तुत करता है। जाहिर है प्रत्येक स्थिति में अलग-अलग विचार शामिल होते हैं।"

इसमें कहा गया है कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान के मूल्यांकन के लिए जो भी तरीका अपनाया जाना है, ये वांछनीय है कि विरासती पेड़ों की प्रस्तावित कटाई के विकल्पों पर विशेषज्ञों द्वारा विचार किया जाए।

सुनवाई के दौरान पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा,

"जब हम एक विरासत के पेड़ को काटते हैं, तो इन सभी वर्षों में ऑक्सीजन के पेड़ के मूल्य की कल्पना करें। इसकी तुलना करें कि इन पेड़ों के बराबर ऑक्सीजन के लिए आपको कितना भुगतान करना होगा, अगर आपको इसे कहीं और से खरीदना है।"

मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने याद किया कि जब नागपुर-जबलपुर सड़क का निर्माण किया गया था तो लगभग 4000 पेड़ काटे गए थे।

"कानूनी तौर पर सड़क के निर्माण के फैसले को उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखा गया था लेकिन प्रकृति को नुकसान बहुत बड़ा है , उन्होंने कहा। आगे उन्होंने कहा कि

वह RoB के निर्माण और सड़क के चौड़ीकरण के पक्ष में है लेकिन अगर विकल्प हो सकते हैं तब उन्हें तलाशने में कोई बुराई नहीं है।

शुरुआत में एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (APDR) के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कोई विकल्प नहीं खोजा गया और पेड़ों को गिराने की अनुमति दी गई जो लगभग 80-100 वर्ष की आयु के धरोहर हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जानता है और अध्ययन में कहा गया है कि यदि वनस्पति की रक्षा नहीं की गई तो अगले 10-20 वर्षों में मानव प्रजाति खतरे में पड़ जाएगी।

भूषण ने सुझाव दिया कि बजाय पुलों के अंडरपास बनाए जा सकते हैं और पेड़ों की कटाई से बचने के लिए सड़कों के संरेखण को बदला जा सकता है।

दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय उन सभी पहलुओं पर विचार कर चुका है जिसके बाद उसने 356 पेड़ गिराने की अनुमति दी गई थी, जो कि RoB के निर्माण और सड़क के चौड़ीकरण के लिए आवश्यक है।

उन्होंने कहा, "RoB के निर्माण की जरूरत है क्योंकि लोग दुर्घटनाओं में मर रहे हैं। कई लोगों ने अपनी जान गंवाई है। हमें उनकी सुरक्षा के लिए पुलों की जरूरत है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक समिति भी गठित की थी जिसने इन सभी पहलुओं पर गौर किया।"

जबकि भूषण ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने कहा था कि क्षेत्र में विरासत के पेड़ हैं और अगर इस तरह के एक पेड़ को काटना है तो पश्चिम बंगाल पेड़ (गैर-वन क्षेत्रों में संरक्षण और संरक्षण) अधिनियम 2007 के तहत जांच आयोजित किया जानी चाहिए लेकिन वर्तमान मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया था।

पीठ ने इसके बाद विशेषज्ञों की समिति को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया और पश्चिम बंगाल सरकार से उनकी यात्रा और ठहरने के लिए सभी आवश्यक इंतजाम करने को कहा।

दरअसल 31 अगस्त, 2018 को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का रास्ता खोला था और जेसोर रोड के चौड़ीकरण के लिए 350 से अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी, इस शर्त पर कि हर पेड़ काटने के बदले पांच पेड़ लगाए जाएंगे। ये सड़क शहर को भारत-बांग्लादेश सीमा पर पेट्रापोल से जोड़ती है।

NH-112 या जेसोर रोड भारत और बांग्लादेश के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है और राज्य सरकार ने इसे व्यापक बनाने के लिए एक परियोजना शुरू की है। सड़क के दोनों ओर सैकड़ों पुराने पेड़ों की कतार है, जिनमें से कुछ को सड़क के चौड़ीकरण के उद्देश्य से काटने का निर्णय लिया गया था।

पेड़ों को काटने की राज्य की योजना को चुनौती देने वाली उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई थी। कई महीनों तक बहस के बाद उच्च न्यायालय ने बारासात से लेकर जेसोर रोड के किनारे पेट्रापोल सीमा तक पांच स्थानों पर 356 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी।



Next Story