सुप्रीम कोर्ट में 4 नए जजों ने शपथ ली, जजों की संख्या पूरी 34 हुई

LiveLaw News Network

23 Sep 2019 5:36 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट में 4 नए जजों ने शपथ ली, जजों की संख्या पूरी 34 हुई

    जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट, जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम और जस्टिस हृषिकेश रॉय ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जजों के तौर पर शपथ ली। CJI रंजन गोगोई ने उन्हें अपने पद की शपथ दिलाई। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या क्षमता के मुताबिक 34 हो गई है।

    सुप्रीम कोर्ट में नए नियम

    सुप्रीम कोर्ट में अब नए नियम बनाए गए हैं जिनके तहत 7 साल की सजा तक के अपराध में जमानत, अग्रिम जमानत याचिकाओं के अलावा ट्रांसफर याचिकाओं पर एकल पीठ सुनवाई करेगी।

    पहली बार देश की सबसे बड़ी अदालत में 17 कोर्ट करेंगी काम

    सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 34 होने के साथ ही अब इतिहास में पहली बार देश की सबसे बड़ी अदालत में 17 कोर्ट काम करेंगी। अभी तक इनकी संख्या 15 थी। CJI रंजन गोगोई ने 2 नई कोर्ट '16' और '17' बनाई हैं जो कोर्ट नंबर 10 के निकट काम करेंगी। इसके साथ ही CJI ने तय किया है कि 1 अक्तूबर से सुप्रीम कोर्ट में स्थायी तौर पर 5 जजों की संविधान पीठ होगी जो कानून के सवाल और संवैधानिक मुद्दों की सुनवाई करेगी।

    सुप्रीम कोर्ट में CJI के अलावा न्यायाधीशों की संख्या हुई 33

    गौरतलब है कि बीते अगस्त में संसद में भारत के मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 करने का प्रस्ताव पास किया था और राष्ट्रपति के अनुमति देते ही इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई थी।

    इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इन चारों को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी थी।

    HC के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल करने का CJI ने किया था अनुरोध

    इससे पहले मई में भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया था कि वो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल तक बढ़ाने और सुप्रीम कोर्ट की क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाएं।

    CJI ने 2 अलग-अलग पत्र लिखे थे जिसमें लंबित मामलों के बैकलॉग की समस्या से निपटने के लिए अनुरोध भी किया गया था।

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जजों की क्षमता संसद द्वारा अनुच्छेद 124 (1) के अनुसार बनाए गए कानून द्वारा 31 तय की गई थी। इसलिए संसदीय विधान के माध्यम से ही ये क्षमता बढ़ाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में पिछले मई में जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की नियुक्तियों के साथ 31 न्यायाधीशों की पूर्ण स्वीकृत क्षमता हो चुकी थी।

    जस्टिस कृष्ण मुरारी

    जस्टिस कृष्ण मुरारी इलाहाबाद से हैं। वह वर्ष 1981 में बार में शामिल हुए और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। वह जनवरी 2004 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। उन्होंने जून 2018 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला। वह अखिल भारतीय आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता क्रम में 5 वें नंबर पर थे। सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में उनके पास 8 जुलाई 2023 तक का कार्यकाल होगा।

    जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट

    न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट वर्ष 2004 से दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। उन्हें पिछले अप्रैल में राजस्थान उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था। वह मैसूर, कर्नाटक से हैं और उनकी कानून की शिक्षा दिल्ली के कैंपस लॉ सेंटर से हुई। उन्होंने वर्ष 1982 में एक वकील के रूप में दाखिला लिया और दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की। वे जुलाई 2004 में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में वह कई उल्लेखनीय निर्णयों का हिस्सा थे, जैसे कि इस निर्णय की घोषणा कि आरटीआई CJI के कार्यालय में लागू होगी आदि। वह अखिल भारतीय आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता में सीरियल नंबर 12 पर थे। सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में उनके पास 21 अक्टूबर, 2023 तक का कार्यकाल होगा।

    जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम

    जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम चेन्नई, तमिलनाडु के निवासी हैं। मद्रास लॉ कॉलेज से कानून में स्नातक करने के बाद उन्होंने 16 फरवरी, 1983 को बार के सदस्य के रूप में दाखिला लिया। चेन्नई में कानून के 23 वर्षों के अभ्यास के बाद उन्हें जुलाई 2006 में मद्रास उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। 27 अप्रैल, 2016 को उनका तबादला तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों के लिए हैदराबाद में उच्च न्यायालय में कर दिया गया। आंध्र प्रदेश राज्य के लिए एक अलग उच्च न्यायालय के गठन और विभाजन के बाद जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन हैदराबाद में तेलंगाना के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने रहे। उन्होंने 22 जून, 2019 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह अखिल भारतीय आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता में सीरियल नंबर 4 पर थे।सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में उनके पास 30 जून, 2023 तक का कार्यकाल होगा।

    जस्टिस हृषिकेश रॉय

    जस्टिस हृषिकेश रॉय को असम से हटाकर अक्टूबर 2006 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। वर्ष 2018 में, उन्हें केरल के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्होंने वर्ष 1982 में कैम्पस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की। उन्होंने जस्टिस रवींद्र भट के साथ स्नातक किया। शुरुआत में उन्हें बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के तहत नामांकित किया गया और उसके बाद गुवाहाटी स्थानांतरित कर दिया गया। उन्हें 21 दिसंबर 2004 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में उनके पास 1 फरवरी 2025 तक का कार्यकाल होगा।

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