अंतर धार्मिक विवाह करने वाले युवक से सुप्रीम कोर्ट ने लड़की के हितों की रक्षा के लिए हलफनामा मांगा

LiveLaw News Network

18 Sep 2019 8:42 AM GMT

  • अंतर धार्मिक विवाह करने वाले युवक से सुप्रीम कोर्ट ने लड़की के हितों की रक्षा के लिए हलफनामा मांगा

    सुप्रीम कोर्ट ने एक हिन्दू लड़की से शादी करने के लिए हिन्दू धर्म अपना चुके एक युवक को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, जिसमें उसकी नेकनीयती (प्रामाणिकता) और लड़की के हितों की रक्षा के लिए भविष्य को लेकर जिक्र हो।

    छत्तीसगढ़ में एक हिन्दू युवती को एक मुस्लिक युवक से प्यार हो गया था। लड़की से शादी के लिए उस युवक ने हिन्दू धर्म अपना लिया। दोनों ने फरवरी 2018 में शादी कर ली थी और एक माह बाद ही विवाह पंजीकरण भी करा लिया था, लेकिन युवती के माता-पिता इस शादी से खुश नहीं थे।

    यद्यपि युवती ने पिता का घर छोड़ दिया था और अपने पति के साथ रहने उसके घर चली गयी थी, लेकिन उसे जबरन वापस लाया गया। इसके परिणामस्वरूप उसके पति ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष जुलाई 2018 में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।

    हाईकोर्ट ने दिया था लड़की की मनोचिकित्सकीय जांच का आदेश

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले में माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध शादी करने के लिए युवती की मनोचिकित्सकीय जांच का आदेश दिया था, जिसे लड़की ने शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करके चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने बाद में उस आदेश पर रोक लगा दी थी। उसके बाद उच्च न्यायालय ने युवक-युवती को एक साथ रहने की इजाजत दे दी थी, जिसे लड़की के पिता ने सर्वोच्च न्यायालय में यह कहते हुए चुनौती दी कि यह शादी महज ढोंग और गोरखधंधे का हिस्सा है।

    सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग

    युवती के पिता ने अपनी याचिका में कहा है कि दो धर्मों के बीच विवाह के नाम पर बहुत बड़ा गोरखधंधा चल रहा है और शीर्ष अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।

    मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने टिप्पणी की, "हम अंतरधार्मिक विवाह के खिलाफ नहीं हैं। हिन्दू-मुस्लिम शादी भी स्वीकार्य हैं। यदि कानून के तहत विवाह करते हैं तो समस्या क्यों होनी चाहिए? यदि जाति विभेद समाप्त हो जाता है तो यह अच्छा ही है। तथाकथित उच्च जाति और निम्न जाति के लोगों की आपस में शादी हो तो यह और बेहतर है। ऐसा समाजवाद के लिए अच्छा है।"

    पीठ ने युवक को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए कहा, "हम दोनों के हितों की रक्षा करना और उनकी नेकनीयती के बारे में आश्वस्त होना चाहते हैं। हम खासकर महिला के भविष्य के बारे में चिंतित हैं और यही कारण है कि हम उसका भविष्य सुरक्षित करने की कवायद कर रहे हैं।"

    मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 सितम्बर की तारीख मुकर्रर की गयी है।



    Tags
    Next Story