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SC ने चुनावों के दौरान जब्त नकदी का ब्यौरा मांगा, 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र को वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान जब्त नकदी का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। पीठ ने केंद्र पर नाराजगी जाहिर करते हुए बुधवार तक ये स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है और मामले को 9 मई के लिए सूचीबद्ध किया है।
दरअसल चुनाव आयोग के उड़नदस्ते ने कुछ सूचनाओं पर कार्रवाई करते हुए बेल्लारी के एक व्यापारी के घर पर धावा बोल दिया, जहां से दस्ते ने बेहिसाब नकदी और विभिन्न बैंकों के चेक द्वारा 20,48,355 रुपये जब्त किए थे।
उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 171 ई (रिश्वतखोरी) और 188 (लोक सेवक का अवज्ञा आदेश) के तहत मामला दर्ज किया गया था। चुनाव खत्म होने के साथ ही मामला कर्नाटक सरकार को हस्तांतरित हो गया था।
FIR का हवाला देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह नोट किया कि अभियोजन पक्ष यह स्थापित करने में बुरी तरह से विफल रहा कि उसका "रिश्वत" का भुगतान करने का इरादा था क्योंकि पीड़ित या किसी भी प्रभावित लोगों द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई थी। यहां तक कि जब्त की गई नकदी भी एफआईआर में उद्धृत आंकड़ों से मेल नहीं खाती। इस आदेश के खिलाफ कर्नाटक सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
जब वकील ने कहा कि आम चुनावों की घोषणा के बाद केंद्र की व्यावहारिक रूप से ऐसी कोई भूमिका नहीं है तो पीठ ने कहा कि केंद्रीय आयकर विभाग और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड जैसी सभी एजेंसियां केंद्र की कमान में हैं। उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मामलों को उसके तार्किक अंत तक ले जाया जाए। पीठ ने केंद्र को वर्ष 2014 और 2019 के चुनावों से जुड़ी इस तरह के सभी मामलों की एक सूची पेश करने का निर्देश दिया।