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RTI के तहत विलफुल डिफॉल्टरों का खुलासा करे RBI : सुप्रीम कोर्ट ने RBI को दिया आखिरी मौका [निर्णय पढ़े]
![RTI के तहत विलफुल डिफॉल्टरों का खुलासा करे RBI : सुप्रीम कोर्ट ने RBI को दिया आखिरी मौका [निर्णय पढ़े] RTI के तहत विलफुल डिफॉल्टरों का खुलासा करे RBI : सुप्रीम कोर्ट ने RBI को दिया आखिरी मौका [निर्णय पढ़े]](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2019/04/26359587-rbi-and-scjpg.jpg)
एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को यह आदेश दिया है कि वो सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत विलफुल डिफॉल्टर और बैंकों की निरीक्षण रिपोर्ट की जानकारी सार्वजनिक करे।
आरबीआई की पॉलिसी, SC के आदेश का करती है उल्लंघन
इससे पहले 25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत सूचना प्रदान ना करने पर दाखिल 2 अवमानना याचिकाओं पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को नोटिस जारी किया था। आरटीआई कार्यकर्ताओं सुभाष चंद्र अग्रवाल और गिरीश मित्तल की याचिका पर ये नोटिस जारी किया गया।
याचिका में इस तथ्य पर भी आपत्ति जताई गई कि ये नीति आरटीआई अधिनियम की धारा 8 के तहत सूचना की छूट को सूचीबद्ध करती है। ये सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लंघन है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि RBI देश के आर्थिक हित के आधार पर और किसी बैंक से विवादास्पद संबंध के चलते जानकारी से इंकार नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य रूप से यह माना था कि RBI निजी बैंकों के साथ संबंध में नहीं था क्योंकि उसने इन बैंकों के साथ "विश्वास" में ऐसी जानकारी नहीं रखी थी। इसलिए इस तरह की जानकारी का खुलासा न करना राष्ट्र के आर्थिक हित के लिए हानिकारक होगा।
हालांकि याचिका में यह कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थिति स्पष्ट करने के बावजूद इस नीति के उद्देश्य बताए गए हैं कि सूची को "आरटीआई अधिनियम के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, वित्तीय स्थिरता और राज्य आर्थिक हितों को खतरे में डाले बिना" बनाया गया है। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की स्पष्ट अवमानना है।
18 दिसंबर, 2015 को उन्होंने अपने आवेदन में 1 अप्रैल, 2011 से आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक और भारतीय स्टेट बैंक के निरीक्षण रिपोर्ट की प्रतियां मांगी थीं। उन्होंने इन बैंकों को जारी किए गए किसी भी कारण बताओ नोटिस और उनकी प्रतिक्रिया की प्रतियां भी मांगी थीं। सहारा समूह और पूर्ववर्ती बैंक ऑफ राजस्थान द्वारा अनियमितताओं के बारे में उनकी पूछताछ के संबंध में, उन्हें बताया गया कि ये आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ई) के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 NB के तहत छूट की श्रेणी में आती हैं।