Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

RTI एक्टिविस्ट हत्याकांड : पूर्व सासंद दीनूभाई सोलंकी और 6 अन्य को CBI कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई

Live Law Hindi
11 July 2019 3:52 PM GMT
RTI एक्टिविस्ट हत्याकांड : पूर्व सासंद  दीनूभाई सोलंकी और 6 अन्य को CBI कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई
x

अहमदाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने वर्ष 2010 में आरटीआई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या के मामले में बीजेपी के पूर्व सांसद दीनू भाई सोलंकी और 6 अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। ये हत्या इसलिए की गई क्योंकि जेठवा ने गिर वन क्षेत्र में अवैध खनन गतिविधियों को उजागर करने की कोशिश की थी। विशेष सीबीआई न्यायाधीश के. एम. दवे ने इस मामले में सजा का ऐलान किया। इससे पहले कोर्ट ने सभी को हत्या का दोषी ठहराया था।

अपराध शाखा द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के बाद सौंपी गई थी CBI को जांच

इस मामले की जांच गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा उस समय केंद्रीय एजेंसी को सौंपी गई थी जब अपराध शाखा ने सोलंकी को क्लीन चिट दे दी थी। अदालत ने वर्ष 2009 से 2014 तक जूनागढ़ के सांसद रहे सोलंकी को उनके चचेरे भाई शिवा सोलंकी के साथ हत्या और साजिश का दोषी पाया।इस मामले में दोषी ठहराए गए अन्य लोगों में शैलेश पंड्या, बहादुरसिंह वढेर, पंचान जी. देसाई, संजय चौहान और उडाजी ठाकोर हैं।

RTI एक्टिविस्ट जेठवा की गोली मारकर की गई थी हत्या

दरअसल गिर के वन्यजीव अभयारण्य में और उसके आसपास अवैध खनन को उजागर करने के लिए आरटीआई एक्टिविस्ट और वकील जेठवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वर्ष 2010 में जेठवा ने गिर अभयारण्य और आसियाटिक शेर के एकमात्र निवास के आसपास अवैध खनन के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की थी।

जेठवा ने अवैध खनन में आरोपियों के खिलाफ पेश किए थे दस्तावेज

दीनू सोलंकी और शिवा सोलंकी को जनहित याचिका में प्रतिवादी बनाया गया। जेठवा ने अवैध खनन में उनकी भागीदारी दिखाते हुए कई दस्तावेज प्रस्तुत किए। यहां तक ​​कि जब जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी तो 20 जुलाई 2010 को जेठवा की गुजरात उच्च न्यायालय के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

HC ने CBI को सौंपा था मामला

शुरुआत में अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने मामले की जांच की और दीनू सोलंकी को क्लीन चिट दे दी। जांच से असंतुष्ट उच्च न्यायालय ने वर्ष 2013 में मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया।

CBI ने बनाया था हत्या और आपराधिक साजिश का मामला

सीबीआई ने नवंबर 2013 में सोलंकी और 6 अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। मई 2016 में उनके खिलाफ हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप तय किए गए। अदालत ने पहले मुकदमे के दौरान 196 गवाहों की जांच की। आरोपियों द्वारा धमकी दिए जाने के बाद उनमें से 105 मुकर गए (सीबीआई मामले का समर्थन नहीं किया)।

वर्ष 2017 में हुआ था मामले में नए सिरे से सुनवाई का आदेश

जेठवा के पिता भीखाभाई जेठवा ने फिर उच्च न्यायालय का रुख किया। HC ने वर्ष 2017 में नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया। भीखाभाई ने फैसले को "भारतीय न्यायिक प्रणाली और संविधान की जीत" के रूप में वर्णित किया।

"यह साबित होता है कि भारतीय न्यायपालिका अभी भी जीवित है और यहां तक ​​कि सोलंकी जैसे अपराधी को भी न्याय के सामने खड़ा किया जाता है," उन्होंने कहा।

"यह है आम आदमी की जीत"

जेठवा परिवार को कानूनी सहायता प्रदान करने वाले गवाहों में से एक वकील आनंद याग्निक ने यह कहा कि यह एक शक्तिशाली व्यक्ति के खिलाफ "एक आम आदमी" की जीत है।

"यह आज स्थापित किया गया है कि भारतीय संविधान और लोकतंत्र इतने शक्तिशाली हैं कि एक ऐसा व्यक्ति भी, जो एक (पूर्व) सांसद रहा है और जिसने भारत के प्राकृतिक संसाधनों को चुरा लिया है, वह कानून के सामने छोटा है।"

Next Story