गोद लेने के विनियमन के तहत पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी रखने वाला तीसरा पक्ष नहीं हो सकता, बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्विस नागरिक को अपने जैविक माता-पिता को ढूंढने की अनुमति दी

LiveLaw News Network

25 Oct 2019 6:04 PM IST

  • गोद लेने के विनियमन के तहत पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी रखने वाला तीसरा पक्ष नहीं हो सकता, बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्विस नागरिक को अपने जैविक माता-पिता को ढूंढने की अनुमति दी

    इस माह के शुरू में बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सारा) को निर्देश दिया कि वह स्विट्ज़रलैंड की एक नागरिक बीना मुलर को 30 साल पहले हुए उसके एडॉप्शन के बारे में जरूरी जानकारी इस उद्देश्य के लिए उसके द्वारा चुने हुए वकील को दे। मूलर को 30 साल पहले गोद लिया गया था।

    न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और एसजे कठवल्ला की खंड पीठ ने सारा को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता के पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी धारक अंजलि पवार को इस बारे में उचित सूचना उपलब्ध कराए।

    यह है मामला

    याचिकाकर्ता को गोद लेने वाले माता-पिता स्विट्ज़रलैंड के नागरिक हैं। उसे हिन्दू एडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 के अधीन 10 अगस्त 1978 को गोद लिया गया था। उसका एडॉप्शन आशा सदन नामक संस्थान के माध्यम से हुआ और इसके कई वर्षों बाद अब याचिकाकर्ता ने अपने जैविक माता-पिता का पता लगाने की इच्छा जाहिर की है।

    चूंकि याचिकाकर्ता स्विट्ज़रलैंड की नागरिक है, उसके लिए भारत में लंबे समय तक रहना मुश्किल है, इसलिए भारत में विभिन्न विभागों में इस उद्देश्य से संपर्क करने के लिए याचिकाकर्ता ने अंजलि पवार और अरुण दोहले के नाम पर पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी किया है।

    याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप हव्नुर ने अदालत को बताया कि सारा ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) के एडॉप्शन रेगुलेशन 2017 के विनियमन 44 के तहत पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी धारकों को याचिकाकर्ता के गोद लेने के बारे में किसी भी तरह की कोई भी सूचना नहीं दी है।

    विनियमन 44 का उप-विनियमन 6 में कहा गया है -

    "किसी तीसरे पक्ष की और से जड़ की तलाश की अनुमति नहीं दी जाएगी और संबंधित एजेंसी या अथॉरिटीज जैविक मां-बाप, गोद लेने वाले मां-बाप या गोद लिए गए बच्चे के बारे में किसी भी तरह की सूचना नहीं देगा।"

    एजीपी पीजी सावंत की दलील सुनाने के बाद अदालत ने कहा,

    "इस तरह के विनियमों को बनाने के उद्देश्य की प्रशंसा की जानी चाहिए। हालांकि, जब वह महिला या पुरुष जिसे गोद लिया गया है, खुद अपनी ओर से इस कार्य को अंजाम देने के लिए किसी व्यक्ति को अटॉर्नी नियुक्त करता/करती है तो इस पर इस विनियमन की पाबंदी लागू नहीं होगा।

    अगर किसी व्यक्ति को अटॉर्नी नियुक्त किया जाता है और वह उस व्यक्ति की ओर से काम को अंजाम देने के लिए अधिकृत किया गया है तो उसे विनियमन 44(6) के तहत तीसरा पक्ष नहीं समझा जा सकता है। कुछ सुरक्षा संबंधी एहतियात के साथ हम संबंधित प्रतिवादियों और विशेषकर सारा को यह निर्देश देते हैं कि वह अंजलि पवार को जरूरी दस्तावेज और अन्य जानकारियाँ उपलब्ध कराये जो कि इस उद्देश्य के लिए उचित तरह से नियुक्त अटॉर्नी हैं।"

    याचिका का निस्तारण करते हुए, अदालत ने कहा कि पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी अरुण दोहले पर गौर नहीं किया जाएगा, क्योंकि दो लोगों के आग्रह को मानना प्रतिवादियों के लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकता है।



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