विदेशी नस्लों का इस्तेमाल कर देसी गायों के कृत्रिम गर्भाधान के खिलाफ याचिका : सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को केंद्र को अभ्यावेदन देने की अनुमति दी

Sharafat

4 May 2023 2:11 PM GMT

  • विदेशी नस्लों का इस्तेमाल कर देसी गायों के कृत्रिम गर्भाधान के खिलाफ याचिका : सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को केंद्र को अभ्यावेदन देने की अनुमति दी

    सुप्रीम कोर्ट ने 'विदेशी' विदेशी नस्लों के बजाए शुद्ध/वर्णित स्वदेशी नस्लों के वीर्य का उपयोग करके गैर-विवरणित देशी गायों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए कदम उठाने के लिए केंद्र और राज्यों को निर्देश देने की मांग वाली एक जनहित याचिका में टिप्पणी की कि इसकेलि सक्षम सरकारी विभागों से संपर्क करना उपयुक्त उपाय हो सकता है।

    सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने याचिकाकर्ता को मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में पशुपालन विभाग को एक प्रतिनिधित्व देने का निर्देश दिया।

    सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की-

    " हम यह नहीं कह रहे हैं कि आपकी शिकायत में दम नहीं है। हम सिर्फ यह कह रहे हैं कि अनुच्छेद 32 शायद उपाय नहीं है। "

    अदालत ने तदनुसार आयोजित किया-

    " उठाए गए मुद्दों को सक्षम सरकारी विभागों अर्थात् मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में पशुपालन विभाग द्वारा देखा जाना चाहिए। तदनुसार हम याचिकाकर्ताओं को मंत्रालय को एक अभ्यावेदन देने का निर्देश देते हैं और उसी पर नीति निर्देश विचार किया जा सकता है।"

    यह याचिका एक स्वदेशी मवेशी संरक्षणवादी और एक गौशाला के संस्थापक द्वारा दायर की गई थी, जिसमें यह घोषणा करने की मांग की गई थी कि 'विदेशी' विदेशी नस्लों जैसे होल्स्टीन फ्रेशियन और जर्सी से वीर्य का उपयोग करके गैर-वर्णित गायों के कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने की कार्रवाई मनमानी है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 48 के अनुरूप नहीं है।

    याचिका में गैर-वर्णित मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान के उद्देश्य से स्वदेशी नस्लों के वीर्य को उपलब्ध कराने और पर्याप्त रूप से वितरित करने के निर्देश मांगे गए थे। स्वदेशी मवेशियों के लाभों और विदेशी/क्रॉसब्रेड मवेशियों के पालन-पोषण के दीर्घकालिक हानिकारक प्रभावों और अस्थिरता के बारे में किसानों और पशुपालकों को शिक्षित करने के लिए केंद्र और राज्यों को उचित कदम उठाने की मांग की गई थी।

    रिट याचिका में तर्क दिया गया कि पिछले कुछ दशकों में, दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत के एकतरफा प्रयास के परिणामस्वरूप विदेशी/क्रॉस नस्लों की संख्या में कई गुना वृद्धि के साथ स्वदेशी नस्लों की आबादी में लगातार गिरावट आई है। पशुधन जनगणना - 2019 की तुलना 2012 से करते हुए याचिका में कहा गया है कि विदेशी मवेशियों में 29.3% की वृद्धि हुई है जबकि स्वदेशी मवेशियों में 6% की कमी आई है।

    केस टाइटल: दिव्या रेड्डी बनाम भारत संघ व अन्य

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