सोशल मीडिया अकाउंट्स को आधार कार्ड से जोड़ने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका
LiveLaw News Network
30 Sept 2019 7:38 PM IST
आधार कार्ड को फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया अकाउंट्स को जोड़ने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में केंद्र सरकार से वैकल्पिक दिशा-निर्देश भी मांगे गए थे, ताकि फर्जी और पेड न्यूज को नियंत्रित करने के लिए फर्जी और घोस्ट सोशल मीडिया खातों को निष्क्रिय करने के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।
याचिकाकर्ता-अधिवक्ता, अश्विनी कुमार उपाध्याय ने उपरोक्त सभी राहत की मांग की, ताकि सभी फर्जी खातों का इस्तेमाल रुकवाया जा सके, जिनका इस्तेमाल अक्सर राजनीतिक दलों द्वारा किया जाता है और मतदान के समापन से 48 घंटे पहले भी आत्म-प्रचार और अन्य "चुनावी गतिविधियों" के लिए ये उपयोग किए जाते हैं।
उल्लेखनीय रूप से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 में जनसभाओं, सार्वजनिक प्रदर्शनों, टेलीविजन, सिनेमाटोग्राफ, रेडियो या इसी तरह के उपकरण के माध्यम से मतदान की गतिविधियों को चुनाव के समय से 48 घंटे पहले रोकना है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि धारा 126 में "समान उपकरण" शब्दों में वेब पोर्टल और सोशल मीडिया को शामिल किया जाना चाहिए ताकि अंतिम समय में राजनीतिक दलों को जनता से छेड़छाड़ करने से रोका जा सके। उन्होंने यह भी मांग की कि पोल से 48 घंटे पहले के दौरान राजनीतिक विज्ञापनों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (4) के तहत भ्रष्ट आचरण घोषित किया जाए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्हें अदालत का दरवाज़ा खटखटाने के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत शक्ति होने के बावजूद इस मामले का संज्ञान लेने में विफल रहा। मोहिंदर सिंह गिल और अन्य बनाम चीफ इलेक्शन (1978) 1 SCC 405 पर याचिकाकर्ता ने विश्वास जताया जिसमें शीर्ष न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चुनाव आयोग की शक्तियों का प्रयोग वहां कर सकता है जहां शून्य या गुंजाइश हो, जैसे कि वर्तमान मामला।
इस प्रकार फर्जी और पेड न्यूज को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उपयुक्त कदम उठाने के लिए केंद्र, चुनाव आयोग और भारतीय प्रेस परिषद को निर्देश जारी करने की मांग की गई, विशेषकर जब आदर्श आचार संहिता लागू हो।