ECI की अयोग्यता हटाने या अवधि कम करने की शक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

LiveLaw News Network

22 Oct 2019 1:14 PM GMT

  • ECI की अयोग्यता हटाने या अवधि कम करने की शक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

    सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम , 1951 ( RPA ) की धारा 11 को चुनौती दी गई है। इसे इस आधार पर चुनौती दी गई है कि यह धारा भारतीय निर्वाचन आयोग को बेलगाम शक्तियां प्रदान करती है और ये मनमानी और तर्कहीन है जिससे भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होता है।

    बीजेपी नेता और दिल्ली में वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि, "जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 11 न केवल स्वच्छ लोकतंत्र के पवित्र सिद्धांत के खिलाफ है, बल्कि ये स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के विपरीत निर्धारित अवधि के बाद अपराधियों को फिर से प्रवेश करने / चुनावी मैदान में लौटने की अनुमति देती है। यह धारा वैधानिक रूप से निर्धारित अयोग्यता को रद्द करने के लिए चुनाव आयोग को अनियंत्रित शक्ति देती है।"

    धारा 11. अयोग्यता की अवधि को हटाना या घटाना। -

    चुनाव आयोग, इस अध्याय 1 [(धारा 8 ए को छोड़कर) के तहत कारण दर्ज कर किसी भी अयोग्यता को हटा या घटा सकता है

    यह याचिका उस मामले से निकली है जिसमें प्रेम सिंह तमांग को 28.12.2016 को भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया गया था। सिक्किम उच्च न्यायालय, साथ ही भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने क्रमशः 28.06.2016 और 10.11.2017 को सजा को बरकरार रखा था। हालांकि अयोग्यता की अवधि को कम करने के लिए धारा 11 के तहत प्रेम सिंह तमांग द्वारा चुनाव आयोग को आवेदन प्रस्तुत करने पर प्राधिकरण द्वारा 29.09.2019 को ये छूट प्रदान की गई थी।

    याचिका के अनुसार, "जनता को लगी चोट बड़ी है। यदि दोषी पाए जाते हैं और 2 दिन के लिए भी कारावास की सजा सुनाई जाती है तो लोकसेवकों को उनकी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया जाता है। लेकिन, RPA की धारा 11 ECI को अयोग्य ठहराए जाने में छूट का अधिकार देती है, भले ही व्यक्ति को दोषी ठहराया गया हो और 20 महीने के कारावास की सजा सुनाई गई हो। इसलिए, यह प्रकट रूप से मनमाना , तर्कहीन और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। "

    अयोग्यता के लिए आधार निर्धारित करने की शक्ति पर संसद के एकाधिकार से यह मुद्दा पैदा हुआ है और इस तरह इस शक्ति को किसी अन्य अंग या संवैधानिक मशीनरी पर नहीं सौंपा जा सकता है। इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 324 में ECI में "अधीक्षण, चुनावों के लिए दिशा-निर्देश और नियंत्रण " की शक्ति निहित है और यह प्रावधान चुनाव आयोग को अयोग्यता के बारे में निर्णय लेने की शक्ति का उल्लेख नहीं करता। अयोग्यता से संबंधित किसी भी मामले के बारे में अनुच्छेद 103 और 192 भी चुनाव आयोग की राय को क्रमशः राष्ट्रपति और राज्यपाल को प्रदान करने के लिए कहते हैं।

    याचिका में मांग

    याचिका में धारा 11 के तहत दोषी जनप्रतिनिधियों के लिए सहिष्णुता के एक तर्कहीन शासन के खिलाफ न्यायिक निवारण की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि लोकसेवकों, जिला मजिस्ट्रेट, जिला न्यायाधीश और पुलिस अधिकारियों आदि को उनकी सेवाओं से समाप्त कर दिया जाता है अगर उन्हें दोषी ठहराया जाता है और उन्हें

    दो दिनों के लिए भी कारावास की सजा सुनाई जाती है।लेकिन जनप्रतिनिधि, जो न केवल 'लोक सेवक' हैं, जैसा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के तहत परिभाषित किया गया है, बल्कि 'कानून निर्माता' भी हैं, को धारा 8 (3) RPA, 1951 के संचालन के कारण अयोग्य नहीं ठहराया जाता, भले ही उन्हें अपराध के लिए दोषी करार देकर बीस महीने के कारावास की सजा भी दी जाए। ये याचिका 25 अक्टूबर, 2019 को सूचीबद्ध होने की संभावना है।

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