संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक हुआ पारित, राज्यसभा में चली 8 घंटे बहस
LiveLaw News Network
11 Dec 2019 10:12 PM IST

आठ घंटे तक चली तूफानी बहस के बाद राज्यसभा ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पारित किया, जो नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करना चाहता है। लोकसभा ने सोमवार को विधेयक को मंजूरी दे दी थी।
विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने की शर्तों को शिथिल करने का प्रयास किया गया है।
विधेयक के अनुसार, 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत से पलायन करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई अवैध प्रवासी नहीं माने जाएंगे। यह नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 2 (1) (बी) में एक नया प्रोविज़ो डालकर किया जाना प्रस्तावित है।
वर्तमान में मौजूद नागरिकता अधिनियम नागरिकता के लिए अवैध प्रवासियों के दावों को मान्यता नहीं देता है। उस विधेयक में इन देशों के गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता हासिल करने की शर्त को शिथिल करने का भी प्रस्ताव किया गया था।
विधेयक में इन देशों के गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता हासिल करने की शर्त को शिथिल करने का भी प्रस्ताव है। मौजूदा कानून के अनुसार, एक व्यक्ति को आवेदन की तारीख से पहले 12 महीने की अवधि के लिए भारत में एक निवासी होना चाहिए, और 12 महीने की उक्त अवधि से पहले 14 वर्षों में से 11 के लिए भारत में भी रहना चाहिए था।
अधिनियम की तीसरी अनुसूची में क्लॉज (डी) के लिए एक प्रोविज़ो सम्मिलित करके 11 वर्ष की अवधि को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों के लिए 6 वर्ष की छूट के रूप में प्रस्तावित किया गया था।