जब तक आधार अधिनियम अंतिम रूप नहीं ले लेता, आधार के साथ लिंक न होने के कारण पैन को निष्क्रिय घोषित नहीं किया जाएगा : गुजरात हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

18 Jan 2020 3:30 AM GMT

  • जब तक आधार अधिनियम अंतिम रूप नहीं ले लेता,  आधार के साथ लिंक न होने के कारण पैन को निष्क्रिय घोषित नहीं किया जाएगा :  गुजरात हाईकोर्ट

    जैसा कि आधार अधिनियम की वैधता सुप्रीम कोर्ट द्वारा विचाराधीन है, गुजरात हाईकोर्ट ने माना है कि जब तक उस मामले में अंतिम फैसला नहीं हो जाता है, तब तक अधिकारी आधार से लिंक न करने के कारण पैन को निष्क्रिय घोषित नहीं करेंगे।

    न्यायमूर्ति हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति संगीता के. विसेन की पीठ ने कहा कि-

    ''इस न्यायालय की राय में, न्याय को संतुलित करने के लिए, यह निर्देश देकर आवेदक को संरक्षित करने की आवश्यकता है कि उसका पैन निष्क्रिय घोषित ना किया जाए और तब तक आवेदक को अधिनियम की धारा 139एए की उप-धारा (2) के परंतुक के अधीन नहीं किया जा सकता है जब तक कि रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय नहीं आ जाता है और उपलब्ध नहीं हो जाता है।

    इस अदालत की राय में आवेदक के पक्ष में इस तरह की अंतरिम राहत देने से किसी भी तरह से व्यापक नतीजे नहीं हो सकते हैं, जैसा कि राजस्व की ओर से कहा गया है या दलील दी गई है।''

    आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139एए के अनुसार पैन के साथ आधार संख्या को जोड़ना अनिवार्य है। इसमें कहा गया है कि यदि सरकार की ओर से अधिसूचित तिथि तक पैन को आधार से लिंक नहीं किया जाता है, तो पैन अमान्य हो जाएगा।

    याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था कि न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ, (2019) 1 एससीसी 1, मामले में सुप्रीम कोर्ट के गोपनीय फैसले को बड़ी पीठ के पास भेजा गया था, जो यह दर्शाता है कि उसके पास अपने पैन को आधार से लिंक नहीं करने के लिए एक प्रथम दृष्टया मामला था।

    उन्होंने कहा कि यदि राहत नहीं दी गई, तो उसे अपूरणीय क्षति होगी, क्योंकि वे अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएंगे।

    अदालत ने कहा कि आधार अधिनियम की वैधता को इस सवाल के रूप में अभी अंतिम रूप नहीं मिला है कि क्या इसे ''मनी बिल'' के रूप में पेश करके सही किया गया था? इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट अभी भी रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड एंड अदर्स, सीए.नंबर 8588/2019 नामक मामले में विचार कर रही है।

    इस प्रकार, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के पैन को निष्क्रिय घोषित नहीं किया जाएगा और उसे किसी भी कार्यवाही में केवल इस कारण से डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा क्योंकि उसका पैन आधार से जुड़ा नहीं है, जब तक कि रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आता है और उपलब्ध नहीं हो जाता है ..।

    अदालत ने स्पष्ट किया या समझाते हुए कहा-

    ''यदि आवेदक को अधिनियम की धारा 139एए के प्रावधानों का पालन करने के लिए निर्देशित कर दिया जाता है, वहीं अगर आधार अधिनियम को धन विधेयक या मनी बिल के रूप में पेश किए जाने को चुनौती देना सफल हो जाता है तो घड़ी को वापस चलाना संभव नहीं होगा क्योंकि आवेदक को आधार कार्ड प्राप्त करने के लिए सभी जानकारी प्रदान करना आवश्यक होगा और आवेदक की गोपनीयता का दावा आने वाले समय के लिए खो जाएगा।''

    मामले का विवरण-

    केस का शीर्षक- बंदिश सौरभ सोपारकर बनाम भारत संघ

    केस नंबर-आर/एसपीसीएल.सिविल अप्लीकेशन नंबर 17329/2017

    कोरम-न्यायमूर्ति हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति संगीता के. विसेन

    प्रतिनिधित्व-सीनियर एडवोकेट एस.एन सोपारकर साथ में एडवोकेट स्वाति सोपारकर (याचिकाकर्ता के लिए),सीनियर एडवोकेट एम.आर भट्ट साथ में एडवोकेट मौना भट्ट (प्रतिवादियों के लिए)


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