बुलंदशहर गोहत्या केस : सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी पर लगाई गई रासुका पर रोक लगाई कहा, यह बेतुका है

LiveLaw News Network

31 Aug 2019 9:39 AM GMT

  • बुलंदशहर गोहत्या केस : सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी पर लगाई गई रासुका पर रोक लगाई कहा, यह बेतुका है

    सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के चर्चित बुलंदशहर गोहत्या केस में आरोपी महबूब अली के खिलाफ लगाई गई राष्ट्रीय रासुका ( सुरक्षा कानून) पर रोक लगा दी है। इसके तहत अब महबूब अली को हिरासत में नहीं रखा जा सकता।

    शुक्रवार को महबूब अली की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा कि रासुका के तहत अली को हिरासत में रखना बेतुका है। पीठ ने कहा, "यह एक ऐसा मामला नहीं है जहां शांति और सौहार्द भंग हो। यह बेतुका है।" अब महबूब अली जेल से बाहर आ सकते हैं।

    दरअसल महबूब अली को कथित बुलंदशहर गौ हत्या मामले में यूपी सरकार ने रासुका के तहत हिरासत में लिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनकी हैबियस कॉरपस याचिका खारिज करने के बाद अली ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

    सुप्रीम कोर्ट में अली की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि रासुका के तहत हिरासत अवैध है और अली गोहत्या मामले में शामिल नहीं था। उन्होंने तर्क दिया कि अली का नाम एफआईआर में नहीं आया था और उन्हें अन्य मामलों में जमानत मिल गई है। जेल से बाहर आने से रोकने के लिए उन पर रासुका थोपी गई है।

    गौरतलब है कि 3 दिसंबर, 2018 की सुबह बुलंदशहर की स्याना तहसील में चिंगरावती पुलिस चौकी के पास महाव गांव के खेतों में कुछ गायों के शव मिले। जल्द ही, दक्षिणपंथी समूहों के सदस्यों द्वारा सहायता प्राप्त ग्रामीणों ने उन्हें एक ट्रॉली में लाद दिया और पुलिस चौकी के सामने रख दिया, जिससे झड़प शुरू हो गई। हमले में स्याना पुलिस स्टेशन में तैनात इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत हो गई। हिंसा के दौरान एक युवक सुमित कुमार की भी जान चली गई।

    बुलंदशहर पुलिस ने गोहत्या के मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया जिसे सरकार और पुलिस ने "सर्वोच्च प्राथमिकता" पर बताया था।

    वरिष्ठ अधिकारियों ने दावा किया कि बुलंदशहर हिंसा में साजिश थी और गोहत्या का मामला "बड़ा सवाल" था।

    3 दिसंबर की हिंसा के तुरंत बाद गोहत्या के मामले में स्थानीय बजरंग दल के योगेश राज द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर सात लोगों को एफआईआर में नामित किया गया था। हालांकि प्रारंभिक प्राथमिकी में कई विसंगतियों के सामने आने के बाद पुलिस ने सातों अभियुक्तों को क्लीन चिट दे दी और छह अन्य को गिरफ्तार कर लिया।

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