नए सोशल मीडिया नियम: मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म से मैसेज के 'पहले ओरिजनेटर' को ट्रेस करने के लिए कहा जा सकता है

LiveLaw News Network

25 Feb 2021 7:30 PM IST

  • नए सोशल मीडिया नियम: मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म से मैसेज के पहले ओरिजनेटर  को ट्रेस करने के लिए कहा जा सकता है

    सोशल मीडिया को विनियमित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित नए नियमों के तहत सोशल मीडिया इंटरमीडियरी द्वारा मैसेजिंग के 'पहले ओरिजनेटर' को ट्रेस करने के लिए 'व्हाट्सएप', 'फेसबुक मैसेंजर', 'टेलीग्राम' जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म से कहा जा सकता है।

    यह एक महत्वपूर्ण फैसला है क्योंकि कानून को लागू करने वाली एजेंसियां फेक न्यूज फैलाने वाले, अभद्र भाषा वाले आदि वायरल फॉरवर्ड मैसेजस के बारे में गंभीर रूप से लगातार चिंताएं जता रही थीं।

    सूचना प्रौद्योगिकी के (इंटरमीडियरी और डिजिटल मीडिया आचार संहिता के लिए दिशानिर्देश) नियम [ Information Technology (Guidelines For Intermediaries And Digital Media Ethics Code)], 2021 के नियम 5(3) में कहा गया है कि केंद्र द्वारा अधिसूचित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को मैसेज के "पहले ओरिजनेटर" को ट्र करने में सक्षम होना चाहिए, जो इसके कंप्यूटर रिसोर्सेज के रूप में हो सकता है। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों की धारा 69 के तहत सक्षम न्यायालय या सक्षम प्राधिकारी की अदालत द्वारा न्यायिक आदेश पारित करने की आवश्यकता है।

    नए नियम कुछ इस प्रकार हैं:

    "मुख्य रूप से मैसेज भेजने की प्रकृति में सेवाएं प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी, अपने कंप्यूटर रिसोर्सेज के माध्यम से पहले ओरिजनेटर को ट्रेस करने में सक्षम होगा, जैसा कि सक्षम न्यायालय के द्वारा पारित न्यायिक आदेश या सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम, 2009 की धारा 69 के अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित एक आदेश द्वारा आवश्यक हो सकता है।

    "महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी" से अभिप्राय है - वह सोशल मीडिया, जिसके पास केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की जाने वाली सीमा से अधिक उपयोगकर्ता आधार/संख्या मौजूद है।

    सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत नए नियम को प्राप्त शक्तियां, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित होने पर लागू होंगी।

    ओरिजिनेटर के ट्रेसिंग लिए आदेश कब पारित किया जा सकता है?

    नियम कहता है कि मैसेज के ओरिजिनेटर को ट्रेस करने का आदेश केवल रोकथाम, पता लगाने, जांच, अभियोजन या अपराध की सजा के उद्देश्यों के लिए पारित किया जा सकता है –

    1. भारत की संप्रभुता और अखंडता से संबंधित, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, या सार्वजनिक व्यवस्था या

    2. उपरोक्त से संबंधित अपराध के लिए या बलात्कार, यौन रूप से स्पष्ट सामग्री या बाल यौन शोषण सामग्री के संबंध में अपराध, कम-से-कम पांच साल या उससे अधिक अवधि के लिए कारावास की सजा।

    नियम आगे कहता है कि इस तरह के ट्रेसिंग आदेश को उन मामलों में पारित नहीं किया जाएगा जहां "कम दखल, ओरिजनेटर की पहचान करने में प्रभावी है।"

    नियम में एक अन्य सुरक्षा उपाय है जो कहता है कि मैसेंजर सेवा को किसी अन्य मैसेज या पहले ओरिजनेटर से संबंधित जानकारी या उसके अन्य उपयोगों से संबंधित किसी भी जानकारी का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।

    नियम 5 (3) का प्रावधान कहता है कि,

    "पहले ओरिजनेटर को ट्रेस करने के लिए आदेश के अनुपालन में, किसी भी महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मैसेज की सामग्री, पहले ओरिजनेटर से संबंधित किसी भी अन्य जानकारी, या उसके अन्य उपयोगकर्ताओं से संबंधित किसी भी जानकारी को शामिल करने की आवश्यकता नहीं होगी।"

    जहां मैसेज के पहले ओरिजनेटर का स्थान भारत के बाहर दिखाता है, वहां भारत के भीतर उस सूचना के पहले ओरिजनेटर को इस खंड के प्रयोजन के लिए मैसेज का पहला ओरिजनेटर माना जाएगा।

    ड्राफ्ट रूल्स 2021 के नियम 4 के तहत भारत के इंटरमीडियरी को 16 नियमों का पालन करना होता हैं।

    इसके अलावा, सभी इंटरमीडियरी को एक मुख्य अनुपालन अधिकारी (Chief Compliance Officer) नियुक्त करना आवश्यक है जो अधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा।

    इसके अलावा, उन्हें कानून लागू करने वाले एजेंसियों और अधिकारियों के साथ 24x7 समन्वय के लिए संपर्क के एक नोडल व्यक्ति को नियुक्त करना चाहिए ताकि कानून या नियमों के प्रावधानों के अनुसार दिए गए उनके आदेशों या आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

    केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने (गुरुवार) नियम बनाने की पीछे की वजह के बारे में संवाददाताओं से कहा कि,

    "हम उन्हें (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) सामग्री का खुलासा करने के लिए नहीं कह रहे हैं; सिर्फ पहले ओरिजनेटर का खुलासा करने के लिए कह रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि शरारत किसने शुरू की और यह केवल उन मामलों में लागू होगा, जहां सजा पांच साल से अधिक सजा का प्रावधान है, इसलिए उचित सुरक्षा है।"

    नियमों में सोशल मीडिया इंटरमीडियरी, ओटीटी प्लेटफार्मों और डिजिटल मीडिया के साथ 'आचार संहिता' भी शामिल है। नियम 'आचार संहिता' के अनुपालन के लिए 3-स्तरीय नियामक तंत्र निर्धारित करते हैं।

    स्तर 1 - स्व विनियमन (Self Regulations)।

    स्तर 2 - स्व-विनियमन निकायों द्वारा विनियमन।

    स्तर 3- केंद्र सरकार द्वारा निरीक्षण तत्र।

    केंद्र एक 'शिकायत पोर्टल' बनाएगा और अगर किसी भी व्यक्ति को ओटीटी प्लेटफॉर्म या डिजिटल मीडिया में दिखाई गई सामग्री से आपत्ति है, वह व्यक्ति 'शिकायत पोर्टल' पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है। शिकायत को पहले संबंधित इकाई को केंद्र द्वारा भेजा किया जाएगा।

    ओटीटी प्लेटफार्मों, डिजिटल मीडिया को शिकायत पोर्टल द्वारा भेजी गई शिकायतों से निपटने के लिए एक 'शिकायत निवारण अधिकारी' नियुक्त करना होगा।

    एक व्यक्ति, जो शिकायत निवारण अधिकारी की प्रतिक्रिया से असंतुष्ट है, संबंधित शिकायत के लिए गठित स्व-विनियमन निकाय में अपील कर सकता है, और अगर वह फिर भी संतुष्ट नहीं होता है तो केंद्र सरकार से अपील कर सकता है।

    सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि 2019 के बाद से, सुप्रीम कोर्ट ऑनलाइन मैसेंजर सेवाओं के 'ट्रेसिंग' के मुद्दे पर याचिकाओं की एक संख्या पर विचार कर रहा है।

    मद्रास उच्च न्यायालय में लंबित एक समान याचिकाओं में, आईआईटी प्रोफेसर डॉ. कामाकोटी ने मैसेज के ओरिजिनेटर के बारे में पता लगाने के लिए कुछ सुझाव प्रस्तुत किए थे। इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने मद्रास उच्च न्यायालय में निजता के अधिकार के उल्लंघन का हवाला देते हुए डॉ. कामाकोटी के सुझावों का विरोध करने के लिए हस्तक्षेप किया।

    हालांकि, फेसबुक ने मामले को मद्रास हाईकोर्ट से शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय को अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया था।

    नए आईटी नियम की कॉपी यहां पढ़ें:



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