अयोध्या- दिन- 7 : विवादित स्थल पर बड़ा मंदिर था, उसी पर बनाई गई मस्जिद : वैद्यानाथन

LiveLaw News Network

16 Aug 2019 2:16 PM GMT

  • अयोध्या- दिन- 7 : विवादित स्थल पर बड़ा मंदिर था, उसी पर बनाई गई मस्जिद : वैद्यानाथन

    रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई के सातवें दिन राम लला विराजमान के वकील ने पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट का हवाला देते सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारतीय पुरात्तत्व सर्वेक्षण विभाग ( ASI) के निष्कर्षों से स्पष्ट रूप से संकेत मिलता है कि विवादित स्थल पर बड़े पैमाने पर मंदिर मौजूद था और मंदिर के ऊपर ही मस्जिद बनाई गई थी।

    मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ के समक्ष देवता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने तर्क दिया कि ASI ने जो खुदाई की थी, उसमें कहा गया था कि यहां एक विशाल भूमिगत संरचना थी जो इंगित करती है कि वो एक मंदिर था।

    उन्होंने पीठ को बताया कि कई स्तंभों में कृष्ण, शिव तांडव, शिशु राम और मूर्तियों के चित्र प्रकट हुए जो गरुड़ के खंभों पर बने हुए हैं और यह पूरी तरह से इस्लामी प्रथाओं के विपरीत है।

    तभी जस्टिस एसए बोबडे ने वकील से पूछा - "सवाल यह है कि क्या इसे मस्जिद के रूप में बनाया गया था या मस्जिद के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है ?"

    सीएस वैद्यनाथन ने जवाब देते हुए कहा कि इस तरह की छवियों के साथ, यह मस्जिद नहीं हो सकती क्योंकि यह इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है। सिर्फ इसलिए कि सड़क पर नमाज अदा की जाती है, इसका मतलब यह नहीं है कि सड़क मस्जिद के रूप में समर्पित हो जाएगी।

    उन्होंने आगे तर्क दिया कि पुरातत्व प्रमाणों से पता चलता है कि विवादित स्थल पर एक विशाल संरचना मौजूद थी जिस पर निर्माण दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के रूप में शुरू हुआ था और पूर्वानुभव यह दर्शाता है कि यह एक राम मंदिर था। इस स्थल पर कोई इस्लामिक कलाकृतियां नहीं मिलीं।

    जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने वकील से कहा - "एक कब्र भी मिली .. इसकी क्या व्याख्या की जा सकती है।"

    वैद्यनाथन ने उत्तर दिया कि कब्र बहुत बाद की अवधि की है। उन्होंने खंभे और खंभों पर जानवरों और पक्षियों के चित्रों के बारे में भी पीठ को बताया।

    जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये पशु पक्षी हैं और इन्हें धर्म को जोड़ने के लिए कुछ भी नहीं है। वैद्यनाथन ने जवाब दिया कि ये पुरातत्वविदों द्वारा की गई व्याख्याएं हैं। अप्रैल 1950 में विवादित क्षेत्र का निरीक्षण हुआ तो कई पक्के साक्ष्य मिले। जिसमे नक्शे, मूर्तियां, रास्ते और इमारतें शामिल हैं। परिक्रमा मार्ग पर पक्का और कच्चा रास्ता बना था। आसपास साधुओं की कुटियाएं थी। पुरातत्व विभाग की जनवरी 1990 की जांच और रिपोर्ट में भी कई तस्वीरें और उनका साक्ष्य दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट सोमवार 19 अगस्त को फिर से सुनवाई जारी रखेगा।

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