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मुंबई में 14,000 करोड़ रुपये की तटीय सड़क परियोजना का निर्माण कार्य शुरू नहीं होगा, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश देने से किया इनकार

LiveLaw News Network
23 Oct 2019 7:26 AM GMT
मुंबई में 14,000 करोड़ रुपये की तटीय सड़क परियोजना का निर्माण कार्य शुरू नहीं होगा, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश देने से किया इनकार
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सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में 14,000 करोड़ रुपये की तटीय सड़क परियोजना का निर्माण कार्य शुरू करने संबंधी अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि वे नवंबर में इस मामले में अंतिम सुनवाई कर फैसला देंगे।

400 करोड़ रुपए प्रोजेक्ट में लग चुके हैं

दरअसल बृहन्मुंबई नगर निगम चाहता था कि शीर्ष अदालत अंतरिम आदेश पारित कर निर्माण कार्य शुरू करने की अनुमति दे। निगम के लिए पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि 400 करोड़ रुपए पहले ही इस प्रोजेक्ट में लगाए जा चुके हैं। 10% काम पूरा हो गया है और परियोजना के पूरा होने की समय सीमा 2020 है।

कोर्ट अंतरिम आदेश पारित कर सकता है जिससे पक्षकार अपने जोखिम पर परियोजना को फिर से शुरू कर सकते हैं और यह जल्द समाप्त नहीं होगी। काम रोकने से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी किया था इंकार

27 जुलाई को भी सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में 14,000 करोड़ रुपये की तटीय सड़क परियोजना पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक पर कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया था।

हालांकि इस दौरान बीएमसी की ओर से पीठ को बताया गया था कि मुंबई शहर के लिए ये परियोजना बेहद जरूरी है क्योंकि वहां पर सड़कों पर बहुत दबाव है इसलिए हाई कोर्ट के आदेश पर तुंरत रोक लगाई जानी चाहिए। पीठ ने मामले पर सुनवाई की सहमति जताई और मामले में नोटिस जारी कर दिया था।

हाईकोर्ट ने मंज़ूरी की थी रद्द

गौरतलब है कि 17 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम की महत्वाकांक्षी 14,000 करोड़ रुपये की तटीय सड़क परियोजना को दी गई CRZ मंजूरी को रद्द कर दिया था।

अदालत ने कहा था कि बीएमसी 29.2 किमी लंबी परियोजना पर काम जारी नहीं रख सकता जो दक्षिण मुंबई में मरीन ड्राइव क्षेत्र को उत्तरी मुंबई में उपनगरीय बोरिवली से जोड़ने के लिए प्रस्तावित है।

मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति एन एम जामदार की पीठ ने शहर के एक्टिविस्ट, निवासियों और मछुआरों द्वारा परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अनुमति देते हुए तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) की मंजूरी को खारिज कर दिया था।

पीठ ने कहा, "हम परियोजना को दी गई सीआरजेड मंजूरी को रद्द कर रहे हैं। हमने माना है कि परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी जरूरी है।"

अप्रैल में उच्च न्यायालय ने बीएमसी को इस परियोजना पर आगे कोई काम करने से रोक दिया था जिसके बाद निगम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

मई में शीर्ष अदालत ने निगम को मौजूदा काम करने की अनुमति दी थी लेकिन किसी भी नए काम को करने से रोक दिया था। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय को अंतिम सुनवाई के लिए निर्देश दिया था। याचिकाकर्ताओं ने प्राथमिक आधार पर परियोजना के लिए पुनर्ग्रहण और निर्माण कार्य को चुनौती दी कि इससे तट को नुकसान होगा और समुद्र के किनारे के प्रमुख समुद्री जीवन और मछुआरों की आजीविका नष्ट हो जाएगी। उन्होंने दावा किया कि तटीय सड़क परियोजना अपरिवर्तनीय रूप से तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाएगी और मछली पकड़ने वाले समुदाय को उनकी आजीविका के स्रोत से वंचित करेगी।

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