मणिपुर वायरल वीडियो: हिंसा की जांच एक्सपर्ट कमेटी से कराने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर

Brij Nandan

24 July 2023 3:31 PM IST

  • मणिपुर वायरल वीडियो: हिंसा की जांच एक्सपर्ट कमेटी से कराने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर

    Manipur Viral Video- तारीख- 19 जुलाई, दिन- बुधवार। मणिपुर का एक वीडियो वायरल होता है। जिसमें भीड़ दो कुकी महिलाओं को निवस्त्र कर सड़क पर परेड कराती नजर आई। कुछ लोग उनसे अश्लील हरकतें करते दिखे। इसे देख कलेजा कांप गया। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही स्वत: संज्ञान लिया था। और कहा था कि वीडियो देखकर हम बहुत परेशान हुए हैं। सरकार को वक्त देते हैं कि वो एक्शन ले, नहीं तो हम एक्शन लेंगे।

    मणिपुर में 'यौन उत्पीड़न की घटनाओं और चल रही हिंसा' की जांच के लिए आज सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक इंडिपेंडन एक्टपर्ट कमेटी बनाकर जांच करने की मांग की गई है।

    याचिका एडवोकेट विशाल तिवारी ने दायर की है। इसमें कहा गया है,

    मणिपुर में कानून के शासन और भारतीय संविधान के दर्शन का उल्लंघन हुआ है। मणिपुर के विभिन्न जिलों जैसे चुराचांदपुर, इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर में हिंसा और आगजनी की सूचना मिली है। महिलाओं का रेप हो रहा है। यौन उत्तपीड़न हो रहा है। राज्य में छेड़छाड़, गोलीबारी, बम विस्फोट, दंगों के मामले सामने आए हैं। संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 मानवाधिकार उल्लंघन पर रोक लगाते हैं। इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र को ख़त्म कर देगी।”

    याचिकाकर्ता ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों पर उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में हाईकोर्ट के आदेश पर हिंसा फैलने के संबंध में निष्क्रियता का आरोप लगाया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को 'अनुसूचित जनजाति' का दर्जा देने पर विचार करने का निर्देश दिया था।

    याचिका के मुताबिक सरकारों ने मैतेई, कुकी और नागा समुदायों के बीच हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कोशिश नहीं की।

    याचिकाकर्ता ने कहा, "यूरोपीय संसद जैसे विदेशी अंतरराष्ट्रीय फोरम में भी इस मामले पर चर्चा हुई। लेकिन भारतीय संप्रभु मशीनरी इस पर चुप है। न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार ने कोई उचित कदम उठाया।

    याचिका में ललिता कुमारी मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2008 के फैसले का जिक्र है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एफआईआर दर्ज न करना जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा और न्याय तक पहुंच का उल्लंघन है।

    याचिका में अदालत से तुरंत दखल देने को कहा गया है।

    याचिका में कहा गया कि मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया पर इस घटना को अपहरण, गैंगरेप और मर्डर का केस बताया है। जब पुलिस के सामने कोई संज्ञेय अपराध की जानकारी आती है तो पुलिस का कर्तव्य है कि वो एफआईआर दर्ज करे।

    इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने CBI को मणिपुर में चल रही हिंसा के संबंध में एफआईआर दर्ज करने, पीड़ितों के बयान दर्ज करने, जांच शुरू करने और चार्जशीट तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की है।

    केस टाइटल

    विशाल तिवारी बनाम भारत संघ | रिट याचिका (आपराधिक) संख्या ऑफ 2023


    Next Story