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वकीलों की हड़ताल : सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट से पेश होने को इच्छुक वकीलों के लिए उपायों पर रिपोर्ट मांगी

LiveLaw News Network
17 Oct 2019 4:55 AM GMT
वकीलों की हड़ताल : सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट से पेश होने को इच्छुक वकीलों के लिए उपायों पर रिपोर्ट मांगी
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इस तथ्य पर ध्यान देते हुए कि वकील उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अदालत का बहिष्कार कर रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक ट्रांसफर याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी कर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार से मामले की रिपोर्ट मांगी है और पूछा है कि जो वकील उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में पेश होना चाहते हैं, उनकी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय किए गए हैं।

जस्टिस एस के कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने आदेश दिया,"हम उड़ीसा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार से एक रिपोर्ट मांगने के लिए उपयुक्त समझते हैं कि मुख्य न्यायाधीश की अदालत तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय किए गए हैं जहां वकील पेश होने के लिए इच्छुक हैं।"

हाईकोर्ट ने वकीलों के खिलाफ की है कार्रवाई

दरअसल उड़ीसा उच्च न्यायालय के वकील लगातार हड़ताल पर रहे हैं और उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना की कार्रवाई शुरू की है ।

इस बहिष्कार से दुखी होकर याचिकाकर्ता, मेसर्स पीएलआर प्रॉजेक्ट्स लिमिटेड व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट से अपना मामला कहीं बाहर स्थानांतरित करने की मांग की थी और यह प्रस्तुत किया कि वह अंतरिम उपाय की तलाश करने में असमर्थ है क्योंकि इसका मामला मुख्य न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।

"बाहर के वकीलों को भी पेश होने की अनुमति नहीं"

वरिष्ठ वकील कविन गुलाटी ने प्रस्तुत किया कि स्थानीय बार के वकील मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रतिनिधित्व की अनुमति नहीं दे रहे हैं और यहां तक ​​कि बाहर के वकीलों को भी पेश होने की अनुमति नहीं है। केवल पक्षकार निजी तौर पर उपस्थित हो सकते हैं।

यह दावा करते हुए कि उनका मामला "तत्काल और आवश्यक" है, याचिकाकर्ता ने अपनी रिट याचिका को तेलंगाना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की। यह दावा किया गया कि इस मामले को सुनवाई के लिए नहीं लिया जा सकता क्योंकि कोई भी वकील, यहां तक ​​कि अन्य अदालतों के वकीलों को भी मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश होने की अनुमति नहीं दी जा रही है ।

यह प्रस्तुत किया गया कि उन्होंने केवल अदालत द्वारा सुनवाई की मांग की थी लेकिन उक्त बहिष्कार से उसे परेशानी हो रही है और यदि इसके मामले को समय पर नहीं सुना गया तो यह गंभीर रूप से पूर्वाग्रहित हो जाएगा और अपूरणीय नुकसान होगा।

यह है मामला

मूल मामले के तथ्यों के अनुसार याचिकाकर्ता एक खनन कंपनी है जिसने उत्तरवादी महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड की ओर से खनन किया था। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसने एक वर्ष की अवधि के भीतर काम पूरा कर लिया है और प्रतिवादी से 99,91,593 रुपये की धरोहर राशि व अपने अंतिम बिल की मंजूरी मांगी।

लेकिन उत्तरदाता ने कथित रूप से एहतियाती उपाय के रूप मेंपार्टियों के बीच एक अलग जेवी समझौते के तहत उक्त राशि को अपने पास रख लिया। बाद में, उक्त जेवी समझौते के तहत याचिकाकर्ता के डिफ़ॉल्ट के संदर्भ में उक्त राशि को जब्त कर लिया गया।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उत्तरदाता ने एक 'अलग अनुबंध' के तहत 'अलग-अलग इकाई' द्वारा किए गए डिफ़ॉल्ट के लिए जोखिम और लागत की अनसोर्स्ड राशि के खिलाफ राशि को मनमाने ढंग से जब्त कर लिया था।

उसने जेवी इकाई के किसी भी बकाये के विरुद्ध उत्तरदाता या कोल इंडिया लिमिटेड की किसी सहायक कंपनी के साथ अनुबंध के तहत याचिकाकर्ता को देय या उससे अधिक राशि की वसूली या उसे समायोजित करने से अंतरिम राहत देने की मांग की है।अदालत ने मामले पर नोटिस जारी किया है और मामले को अगले मंगलवार यानी 22 अक्टूबर के लिए निर्धारित किया है।

फैसले की कॉपी डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें


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