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JP मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जरुरत पड़ी तो होमबॉयर्स के हितों के सरंक्षण लिए कदम उठाएंगे

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया है कि अगर जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड मामले में NCLT में चल रही कार्रवाही में कोई हल नहीं निकलता है तो पीठ खुद लाखों होमबॉयर्स के हितों के सरंक्षण के लिए आदेश जारी करेगी।
इसके साथ ही पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार की इस दलील के बाद सुनवाई को 18 जुलाई के लिए टाल दिया कि 17 जुलाई को NCLT में मामले की सुनवाई है जिसमें इस मुद्दे का हल निकलने की उम्मीद है।
जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड से संबंधित होमबॉयर्स मामले की सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसे इस मुद्दे पर लाखों फ्लैट खरीदारों की चिंता है और केंद्र को इसे हल करने के लिए एक प्रस्ताव देना चाहिए।
इसमें ऐसा कहा गया था कि "संदेह की कोई गुंजाईश नहीं" है कि JAL और JIL के पास अधूरी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए वित्तीय क्षमता और संसाधनों की कमी है जिससे 21,000 से अधिक घर खरीदारों को तब तक उनके फ्लैटों का कब्जा नहीं दिया गया है।
याचिका में यह कहा गया है कि अब तक लेनदारों की समिति द्वारा केवल दो गंभीर बोलियां प्राप्त की गई हैं। एक बोली नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत की गई है जबकि दूसरी सुरक्षा ARC द्वारा प्रस्तुत की गई है। उक्त बोलियों में से कोई भी समिति द्वारा स्वीकार नहीं की गई है। जेआईएल परिसमापन में जा रहा है और प्रत्येक गुजरते दिन के साथ एक वास्तविकता में बदल रहा है।
याचिका में यह कहा गया है कि यदि 6 मई तक कोई योजना स्वीकार नहीं की जाती है तो JIL स्वचालित रूप से परिसमापन में चला जाएगा और हजारों घर खरीदारों को बिना किसी उपाय के छोड़ दिया जाएगा। JIL के फॉरेंसिक ऑडिट की मांग करते हुए यह आरोप लगाया गया है कि आम्रपाली ग्रुप ऑफ़ कंपनीज द्वारा विकसित परियोजनाओं की तुलना में वर्तमान मामले में बहुत बड़े पैमाने पर धन का डायवर्जन किया गया है।