क्या इलेक्ट्राॅनिक साक्ष्य की प्रस्तुति के लिए धारा 65-बी (4) के तहत प्रमाण पत्र अनिवार्य है?सुप्रीम कोर्ट ने मामला बड़ी बेंच को रेफर किया, पढ़ें फैसला

LiveLaw News Network

7 Aug 2019 1:42 AM GMT

  • क्या इलेक्ट्राॅनिक साक्ष्य की प्रस्तुति के लिए धारा 65-बी (4) के तहत प्रमाण पत्र अनिवार्य है?सुप्रीम कोर्ट ने मामला बड़ी बेंच को रेफर किया, पढ़ें फैसला

    सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने कहा है कि उनके उस फैसले पर पुनविचार की आवश्यकता है,जिसमें कहा गया है कि धारा 65-बी (4) के तहत प्रमाण पत्र की जरूरत हमेशा अनिवार्य नहीं होती है। अर्जुन पंडितराॅव खोतकर बनाम कैलाश कुषाणराॅव गोरंतयाल मामले में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि-

    हमारा विचार है कि अनवर पी.वी(सुपरा) मामले को देखते हुए इस कोर्ट द्वारा शफी मोहम्मद (सुपरा) मामले में दिए गए फैसले पर पुनविचार की आवश्यकता है। समय बितने के साथ-साथ जांच के दौरान इलेक्ट्राॅनिक साक्ष्यों पर भरोसा बढ़ता जा रहा है। इसलिए इस संबंध में निश्चितता के साथ कानून को निर्धारित करने की आवश्यकता है।इसलिए,हम इस मामले को एक बड़ी बेंच के पास भेजना उचित समझते है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि इस मामले में तात्कालिकता का एक तत्व भी है।

    शफी मोहम्मद बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक पक्षकार,जिसके पास वह डिवाइस नहीं है,जहां से इलेक्ट्राॅनिक दस्तावेज उत्पादित किए गए है,को साक्ष्य अधिनियम की धारा 65-बी (4) के तहत प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।इस मामले में जस्टिस ए.के गोयल और जस्टिस यू.यू ललित की पीठ इस मुद्दे पर विचार कर रही थी कि क्या एकत्रित किए गए सबूतों में विश्वास प्रेरित करने के लिए अपराध के घटनास्थल की या जांच के दौरान रिकवरी के दृश्य की विडियोग्राफी आवश्यक है ?

    इस संदर्भ में, पीठ ने विभिन्न निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 बी (4) के प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की प्रक्रियात्मक आवश्यकता की अर्हता केवल तभी लागू की जाती है जब ऐसे इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य उस व्यक्ति द्वारा उत्पादित किए गए हों जो इस तरह के प्रमाणपत्र को प्रस्तुत करने की स्थिति में हो क्योंकि उक्त डिवाइस उसके नियंत्रण में है। विपरीत पक्षकार नहीं।

    ''जब किसी मामले में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य ऐसे व्यक्ति द्वारा पेश किए जाते है,जिसके नियंत्रण में डिवाइस नहीं है,तो साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 व 65 की प्रासंगिकता को बाहर नहीं रखा जा सकता है।ऐसे मामलों में इन धाराओं के तहत बताई गई प्रकिया निश्चित तौर पर लागू होती है। अगर इसकी अनुमति ना दी जाए,तो यह उस व्यक्ति को न्याय से मना करने के समान होगा,जिसके पास इस तरह के अधिप्रमाणित सबूत या गवाह है,परंतु उनको पेश करने के तरीके के कारण कोर्ट साक्ष्य अधिनियम की धारा 65 बी (4) के तहत प्रमाण पत्र पेश न करने के कारण इन सबूतों पर विचार न करे। जबकि ऐसे प्रमाण पत्र को प्राप्त करना पक्षकार के लिए संभव नहीं है।

    इसलिए धारा 65 बी (एच) के तहत प्रमाण पत्र की जरूरत हमेशा अनिवार्य नहीं है।'' परंतु इससे पहले तीन जजों की पीठ ने अनवर पी.वी बनाम पी.के बसीर के मामले में यह कहा था-

    इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड को अतिरिक्त या सहायक साक्ष्य के तौर पर तब तक स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि धारा 65-बी की आवश्यकताओं को संतुष्ट नहीं कर दिया जाता है। इस प्रकार सीडी,वीसीडी,चिप आदि के साथ दस्तावेज लेने के समय धारा 65-बी के तहत लिया गया प्रमाण पत्र भी पेश किया जाना चाहिए।जिसके बिना इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड से संबंधित अतिरिक्त या सहायक साक्ष्य स्वीकारयोग्य नहीं होंगे।



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