विदेश जाने के लिए पूर्व अनुमति लेने के लिए कोर्ट जाने में असुविधा के आधार पर जमानत शर्तों को हल्का नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

30 Oct 2019 4:40 AM GMT

  • विदेश जाने के लिए पूर्व अनुमति लेने के लिए कोर्ट जाने में असुविधा के आधार पर जमानत शर्तों को हल्का नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विदेश यात्रा की अनुमति लेने के लिए अदालत के पास जाने को लेकर महज असुविधा किसी अग्रिम जमानत आदेश में लगाई गई शर्तों को हल्का करने का कारण नहीं हो सकती।

    न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने पीड़ित के पिता द्वारा पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर विचार किया, जिसमें आरोपियों द्वारा दायर किए गए आवेदन की अनुमति देकर अग्रिम जमानत के आदेश में शर्तों को हल्का कर दिया गया था।

    अपने आवेदन में अभियुक्त ने तर्क दिया कि वह अक्सर विदेश यात्रा करता है और पूर्व अनुमति लेने की स्थिति उसके लिए बोझिल और बेहद असुविधाजनक है।

    उसकी याचिका को अनुमति देते हुए उच्च न्यायालय ने अपने आदेश को संशोधित किया और कहा कि आरोपी को विदेश यात्रा की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है और जांच एजेंसी के समक्ष लिखित में अंडरटेकिंग देने की बजाए उसे निर्देश दिया कि वह खुद को आवश्यकता पड़ने पर जांच या ट्रायल के दौरान उपलब्ध कराएगा। साथ ही वह जांच अधिकारी को अपनी यात्रा का विवरण प्रस्तुत करने के अलावा उस स्थान पर जहां उसके ठहरने की संभावना है, जिन देशों में उसने जाने का प्रस्ताव रखा है और प्रस्थान और लौटने की तिथि को बताएगा।

    हाईकोर्ट के दृष्टिकोण को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत की पीठ ( बरुन चंद्र ठाकुर बनाम रयान ऑगस्टीन पिंटो मामले में ) ने कहा कि शर्तों को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जाना चाहिए था।

    पीठ ने कहा:

    "इस बात को कहने का कोई फायदा नहीं हो सकता कि विदेश यात्रा का अधिकार एक मूल्यवान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का एक अभिन्न अंग है। समान रूप से हालांकि, विदेश यात्रा से पहले पूर्व अनुमति हासिल करने की पूर्व शर्त एक महत्वपूर्ण घटक है, जो निस्संदेह इस मामले में अग्रिम जमानत देने के लिए एक शर्त के रूप में लगाई गई थी।

    इसलिए , केवल अदालत में संपर्क करने में असुविधा - वो भी परिस्थितियों के किसी भी महत्वपूर्ण परिवर्तन की अनुपस्थिति में (यानी आरोपों का निर्धारण या ट्रायल के दौरान कोई महत्वपूर्ण या गंभीर सामग्री उभरने के दौरान, मुख्य गवाहों के बयान के रूप में, प्रतिवादी की भूमिका के तौर पर ), उच्च न्यायालय को पिछले सुसंगत आदेशों में लगाई गई शर्तों को हल्का नहीं करना चाहिए था।

    ज्यादा से ज्यादा, विदेश यात्रा से पहले अनुमति लेने की शर्त को विनियमित किया जा सकता था, लेकिन उसे पूरी तरह से हटाया नहीं जा सकता। "

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