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नर्सों को हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराना अस्पतालों का कर्तव्य, अस्पतालों को होने वाले मुनाफों से कोई मतलब नहीं : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network
16 Nov 2019 1:32 PM GMT
नर्सों को हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराना अस्पतालों का कर्तव्य, अस्पतालों को होने वाले मुनाफों से कोई मतलब नहीं : सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बेहतर मेडिकल सेवा देने के लिए नर्सों को हॉस्टल की सुविधा देना अस्पतालों का एक सकारात्मक कर्तव्य है। अदालत ने कुछ व्यापक सिद्धांत भी गिनाए हैं, ताकि इनके आधार पर यह निर्धारित किया जा सके कि कोई गतिविधि या लेनदेन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 2(1)(d) के तहत आते हैं।

न्यायमूर्ति एमएम शांतनागौदर और अजय रस्तोगी की पीठ ने लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट बनाम मै. यूनीक शांति डेवलपर्स मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के ख़िलाफ़ एक अपील की सुनवाई करते हुए यह बात है। सुनवाई के दौरान जो मामला उठा वह यह था कि ट्रस्ट के अस्पताल में काम करने वाली नर्सों को आवास मुहैया कराने के लिए फ़्लैट ख़रीदना क्या वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए सेवाओं की ख़रीद है कि नहीं।

व्यापारिक उद्देश्य

एनसीआरडीसी के इस फ़ैसले में कहा गया था कि नर्सों को हॉस्टल सुविधा दिलाना अस्पताल के वाणिज्यिक उद्देश्य से जुड़ा है और अस्पताल में अपनी सेवाए देने के कारण ये लोग उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 'उपभोक्त'नहीं होंगे।

इस मामले से संबंधित पूर्व के कतिपय फ़ैसलों का ज़िक्र करते हुए पीठ ने कहा :

1. सामान्य रूप से वाणिज्यिक उद्देश्य के तहत निर्माण/औद्योगिक गतिविधि या दो वाणिज्यिक एकाकों के बीच व्यवसाय-से व्यवसाय लेनदेन होता है। कोई लेनदेन वाणिज्यिक है कि नहीं वह संबंधित मामले के तथ्यों और उसकी परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।

2. वस्तुओं और सेवाओं की ख़रीद का सीधा संबंध मुनाफ़ा कमाने की अतिविधि से जुड़ा हो।

3. यह देखा जाना चाहिए कि लेनदेन का उद्देश्य क्रेता या लाभ उठानेवाले के लिए किसी न किसी तरह का लाभ कमाना हो।

4. अगर यह पाया जाता है कि वस्तु और सेवाओं की ख़रीद का बड़ा उद्देश्य क्रेता या लाभ प्राप्त करनेवालों का निजी उपयोग या यह किसी भी तरह वाणिज्यिक गतिविधियों से नहीं जुड़ा है तो इस प्रश्न पर ग़ौर करने की ज़रूरत नहीं है कि यह ख़रीद 'स्व-रोज़गार के माध्यम से आजीविका कमाने' के लिए है कि नहीं।

इन सिद्धांतों को इस मामले के तथ्यों पर कसते हुए पीठ ने कहा कि ट्रस्ट द्वारा फ़्लैट्स की ख़रीद और उसके मुनाफ़ा कमानेवाली गतिविधि और इसकी लाभ कमानेवाली गतिविधियों से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। यह कहा गया कि फ़्लैट्स का प्रयोग अस्पताल के अंदर किसी मेडिकल/इलाज संबंधी गतिविधियों के लिए नहीं हो रहा था बल्कि अस्पताल के नर्सों की रिहाईश के रूप में हो रहा था और उनसे इसके लिए कोई किराया नहीं वसूला जा रहा था।

प्रमुख उद्देश्य की कसौटी के अनुरूप, पीठ ने इस दलील को ठुकरा दिया कि हॉस्टल की सुविधा ट्रस्ट के वाणिज्यिक गतिविधियों का हिस्सा है।

"इस तरह की सुविधाओं को उपलब्ध कराने का उद्देश्य नर्सों की ज़रूरतों को पूरा करना है और इस शहर में ऐसे लोगों को राहत उपलब्ध कराना है जिनके पास अपना स्थाई आवास नहीं है। इस तरह नर्सों को आवास उपलब्ध कराकर मरीज़ों की सेवा करने वाली नर्सों को राहत उपलब्ध कराया जाता है।"

नर्सों को हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराकर मेडिकल सुविधा को बेहतर करना अस्पतालों का सकारात्मक कर्तव्य है।

इस अपील को स्वीकार करते हुए अदालत ने नर्सों के महत्व गिनाए और उनको आवास मुहैया कराने को अस्पताल का कर्तव्य बताया।

अदालत ने कहा,

"नर्स बीमारों को जल्दी स्वस्थ होने में मदद करती हैं और वे अस्पतालों और मेडिकल सेंटरों के महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं यहाँ तक कि वे एकमात्र ऐसे लोग हैं जो मरीज़ों की सेवा में 24x7 उपलब्ध होते हैं। अस्पताल जो सेवा उपलब्ध कराता है उसकी गुणवत्ता के हर पक्ष से नर्स जुड़ी होती हैं। …इसलिए बेहतर मेडिकल सुविधा देने के लिए नर्सों को हॉस्टल की सुविधा का प्रावधान करना एक सकारात्मक कर्तव्य है ताकि नर्सों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली उपचारात्मक सुविधा को मेंटेन किया जा सके …अस्पताल के मुनाफ़ा कमाने से इसका कोई लेना-देना नहीं है या धारा 2(1)(d) के प्रावधानों के तहत किसी भी तरह के वाणिज्यिक प्रयोग से इसका कोई मतलब नहीं है।"

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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