दिल्ली और NCR में प्रदूषण मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने डीटीसी को लगाई फटकार
LiveLaw News Network
20 Aug 2019 11:36 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में लगातार बढ़ते प्रदूषण पर एक बार फिर चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भीषण वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों की सुनवाई नियमित आधार पर कर रहा है, जिससे लोग विशेष तौर पर बच्चे स्वच्छ हवा में सांस ले सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली परिवहन विभाग (डीटीसी) को फटकार लगाते हुए कही। दरअसल डीटीसी ने एक हलफनामा दायर कर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) की उस मांग पर आपत्ति जतायी जिसमें उसने कहा था कि वह प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान के लिए पांच मशीनें खरीदे। डीटीसी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह उससे ''केवल एक या दो मशीनें खरीदने के लिए कहने के बारे में विचार करे। यह मशीन प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान के लिए रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी पर आधारित होंगी।
जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने डीटीसी के वकील से कहा, ''क्या आपको यह नहीं लगता कि लोगों और बच्चों को एक स्वच्छ माहौल में जीना चाहिए? पीठ ने कहा, ''मात्र एक या दो मशीनें क्यों? पांच क्यों नहीं?"
पीठ ने कहा कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता लंबे समय के बाद अपने ''सर्वोत्तम" स्तर पर है। पीठ ने कहा, ''हम स्वच्छ वायु सुनिश्चित करने के लिए मामले की सुनवाई नियमित आधार पर कर रहे हैं।"
पीठ ने कहा, ''आपको ऐसी आपत्तियां दायर नहीं करनी चाहिए थी। आप वैध आपत्ति उठा सकते हैं।" शीर्ष अदालत की न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने भी डीटीसी की ओर से दायर हलफनामे की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता इतने लंबे समय के बाद केवल अदालत द्वारा पारित आदेश के चलते अच्छी हुई है।
डीटीसी ने अपने हलफनामे में इंटरनेशनल सेंटर फॉर आटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) द्वारा कराये गए अध्ययन में ''कुछ कमी की बात कही है। संस्था ने करीब 1.76 लाख वाहनों की जांच की और रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी को उपयोगी पाया। हलफनामे में कहा गया, ''जहां तक डीटीसी द्वारा पांच मशीनें खरीद को लेकर ईपीसीए के सुझाव का सवाल है यह निवेदन किया जाता है कि वर्तमान समय में यह अदालत डीटीसी द्वारा मात्र एक या दो मशीनें खरीदने पर विचार कर सकती हैं और इसे बाद में धीरे धीरे बढ़ाया जा सकता है।"
इस पर पीठ ने मामले की अगली सुनवाई दो महीने के बाद करना तय किया और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से कहा कि वह रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी पर एक स्थिति रिपोर्ट दायर करेंं।