पत्नी को 'आई लव यू' संदेश के साथ टिकट देनेवाले बस कंडक्टर की पिटाई करने वाले व्यक्ति की सज़ा कर्नाटक हाईकोर्ट ने माफ़ की

LiveLaw News Network

24 Nov 2019 5:00 AM GMT

  • पत्नी को आई लव यू संदेश के साथ टिकट देनेवाले बस कंडक्टर की पिटाई करने वाले व्यक्ति की सज़ा कर्नाटक हाईकोर्ट ने माफ़ की

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति की सज़ा को माफ़ कर दिया है जिसने कंडक्टर की इसलिए पिटाई कर दी थी क्योंकि उसने उसकी पत्नी को एक ऐसा बस टिकट जारी किया था जिसके पीछे लिखा था "आई लव यू" (मुझे आपसे प्यार है)। 26 साल के इस व्यक्ति ने इस टिकट को देखने के बाद बस कंडक्टर की पिटाई कर दी और अदालत ने बाद में इस व्यक्ति को एक साल के क़ैद की सज़ा सुनाई थी। अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस सज़ा को माफ़ कर दिया है।

    न्यायमूर्ति केएन फनींद्र आईपीसी की धारा 333 के तहत महादेव एम की सज़ा को निरस्त करते हुए कहा, "आरोपी ने अचानक प्रतिक्रिया दिखाई जिसकी वजह से पीडब्ल्यू 2 को गंभीर चोट पहुँची।"

    अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 335 के तहत दोषी माना था और उस पर 2000 रुपए का जुर्माना लगाया था। इस फ़ैसले में कहा गया,

    "अगर निचली अदालत के आदेशानुसार आरोपी ने 5000 रुपए का जुर्माना जमा करा दिया है तो उसमें से 2000 रुपए के अलावा शेष रूपए उन्हें वापस कर दिया जाएगा।"

    यह था मामला

    अभियोजन के अनुसार, 23 सितम्बर 2008 को आरोपी और उसकी पत्नी बीएमटीसी की बस में सफ़र कर रहे थे। शिकायतकर्ता उमेश इस बस का कंडक्टर था। आरोपी ने उसके साथ मामूली बात पर झगड़ा किया और एक सरकारी नौकर को अपना काम करने से रोका। आरोपी ने कंडक्टर पर हमला किया और उसकी नाक की हड्डी तोड़ दी।

    याचिकाकर्ता के वक़ील एएन राधाकृष्ण ने कहा कि आरोपी ने जिस टिकट को लेकर झगड़ा हुआ उसे अदालत में पेश नहीं किया है। इसलिए यह मामला अदालत में नहीं टिकता है और इसलिए आरोपी को बरी कर दिया जाना चाहिए।

    अभियोजन के वक़ील होनप्पा ने कहा कि निचली अदालत ने मौखिक और दस्तावेज़ी साक्ष्यों पर ग़ौर किया था और इस फ़ैसले में किसी भी तरह के हस्तक्षेप की ज़रूरत नहीं है।

    अदालत ने दोनों ओर के बयानों को सुनने के बाद कहा,

    "आरोपी और शिकायतकर्ता इस झगड़े से पहले एक दूसरे को नहीं जानते थे और जो हुआ वह उस दिन अचानक हुआ। आरोपी के ख़िलाफ़ दुर्व्यवहार का पहले का कोई रेकर्ड नहीं है। इसलिए मेरी राय में, आरोपी को क़ैद की सज़ा के बदले उस पर आईपीसी की धारा 335 के तहत जुर्माना लगाना ही पर्याप्त होगा।"

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