एसिड अटैक पीड़ितों के इलाज के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार राज्य सरकार दे हलफनामा : झारखंड हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

19 Sep 2019 3:09 AM GMT

  • एसिड अटैक पीड़ितों के इलाज के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार राज्य सरकार दे हलफनामा : झारखंड हाईकोर्ट

    झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि 'लक्ष्मी बनाम भारत संघ व अन्य' के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालन के संबंध में एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करे। इस आदेश के तहत सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए गए थे कि वे सुनिश्चित करें कि एसिड हमले के सभी पीड़ितों को उचित उपचार, देखभाल व पुर्नवास प्रदान किया जा सकें।

    यह आदेश वकील शादाब अंसारी के माध्यम से एसिड अटैक पीड़िता सोनाली मुखर्जी द्वारा दायर एक रिट याचिका के मद्देनजर दिया गया है। इस याचिका में उचित इलाज और मुआवजे की प्रार्थना की गई है।

    इस संबंध में, उच्च न्यायालय ने पहले भी दो अवसरों पर आदेश पारित किए थे, जिनमें राज्य को सुप्रीम कोर्ट के उक्त निर्णय के अनुपालन के संबंध में एक उचित निर्णय के साथ आने के लिए कहा था, लेकिन सब व्यर्थ रहा।

    सुप्रीम कोर्ट के राज्यों के निर्देश

    ऐसे मामलों में पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी राज्यों से कहा था कि वे अपने-अपने राज्यों के सभी निजी अस्पतालों के साथ इस मामले को प्रभावी ढंग से उठाए या विचार-विमर्श करें ताकि निजी अस्पतालों में एसिड हमले के पीड़ितों के इलाज से इंकार न किया जा सके और ऐसे पीड़ितों को दवा, भोजन, बिस्तर और पुनर्निर्माण सर्जरी सहित पूर्ण उपचार प्रदान किया जाना चाहिए।

    फिर भी, झारखंड राज्य सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करने में विफल रहा। अपराजिता भारद्वाज ने प्रतिवादी राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के पिछले आदेशों के बारे में संबंधित सक्षम अधिकारियों को सूचित किया गया था, लेकिन आज तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है।

    राज्य सरकार को अंतिम मौका

    राज्य की निष्क्रियता पर कड़ा रुख अपनाते हुए, न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद ने राज्य सरकार को अंतिम मौका दिया ताकि इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन किया जा सके और अगले शुक्रवार तक इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

    पीठ ने आगे कहा कि अगर राज्य हलफनामा दायर करने में विफल रहा, तो राज्य के सचिव और मुख्य सचिव, समाज कल्याण विभाग और उपायुक्त, धनबाद को सुनवाई की अगली तारीख, यानी 20 सितंबर को अदालत में व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहना होगा।



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