Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

तेज़ी से बढ़ते मुकदमों के कारण फैमिली कोर्ट के जज घुटन में हैं, मद्रास हाईकोर्ट ने की टिप्पणी

LiveLaw News Network
10 Sep 2019 4:31 AM GMT
तेज़ी से बढ़ते मुकदमों के कारण फैमिली कोर्ट के जज घुटन में हैं, मद्रास हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
x

Madras High Court

"परिवार न्यायालय (फैमिली कोर्ट) के जज न्यायिक घुटन में हैं," मद्रास हाई कोर्ट ने एक फैमिली जज के खिलाफ दायर अवमानना ​​याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

दरअसल इस मामले में एक पक्षकार ने परिवार न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ एक अवमानना ​​याचिका दायर की थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 6 महीने के भीतर मामले को निपटाने के उच्च न्यायालय के निर्देश का अनुपालन नहीं किया।

जब न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना ​​मामले/कार्यवाही को बनाए रखने के बारे में सवाल किया गया, तो वकील ने यह कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई की थी। न्यायमूर्ति पी. एन. प्रकाश ने कहा:

"यह वास्तव में बहुत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक वकील जो सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने का दावा करते हैं, वे उन परिस्थितियों से अनजान है जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने उनके द्वारा संदर्भित मामले में कार्रवाई की थी और उस मामले को, इस अदालत के निर्देशानुसार मामले को न निपटाने के लिए परिवार न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई हेतु एक मिसाल (precedent) के रूप में उद्धृत नहीं किया जा सकता है।"

अदालत ने आगे कहा कि, जब भी उच्च न्यायालय के अधीनस्थ एक न्यायालय, उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर किसी मामले को पूरा करने में असमर्थ होता है, तो संबंधित न्यायाधीश समय के विस्तार के लिए अनुरोध करते हैं, जिसे सामान्य रूप से स्वीकार/प्रदान किया जाता है। यह देखते हुए कि यह याचिका केवल पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश को आतंकित करने के लिए दायर की गई है, अदालत ने देखा:

"इस न्यायालय की राय में, यह याचिका केवल पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश को आतंकित करने के लिए दायर की गई है। हम इस तथ्य से अवगत हैं कि यद्यपि चेन्नई में 6 परिवार न्यायालय हैं, लेकिन प्रत्येक परिवार न्यायालय, वैवाहिक विवादों के बोझ से इतना दबे हुए हैं कि परिवार न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायिक घुटन के अधीन हैं। इसलिए, यह याचिका एक्सेम्पलरी कॉस्ट के साथ खारिज करने के योग्य है। हालांकि, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता को, उसके वकील द्वारा दी गयी अनुचित सलाह के चलते नुकसान भुगतना पड़ सकता है, यह अदालत कॉस्ट नहीं लगा रही है।"



Next Story